संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की नाकामी का प्रभाव 6 करोड़ लोगों परःभारत
Published: Oct 31, 2015 07:19:00 pm
‘निष्प्रभावी’ सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार के लिए
जोरदार तरीके से अपनी बात रखते हुए भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के
इस निकाय के ठीक से काम नहीं करने से छह करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए
हैं। उसके फलस्वरूप युद्धों और संघर्षों के चलते भारी जन-धन की हानि हुई
है।
‘निष्प्रभावी’ सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार के लिए जोरदार तरीके से अपनी बात रखते हुए भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के इस निकाय के ठीक से काम नहीं करने से छह करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। उसके फलस्वरूप युद्धों और संघर्षों के चलते भारी जन-धन की हानि हुई है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने यहां कहा, ‘हमारा कहना है कि निष्प्रभावी सुरक्षा परिषद का तात्पर्य युद्धों और संघर्षों के रूप में भारी मानवीय, आर्थिक और पर्यावरणीय कीमत चुकाना है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय सही नहीं ठहरा सकता।’
उन्होंने, ‘सुरक्षा परिषद में समान प्रतिनिधित्व का सवाल और सदस्यता में वृद्धि’ विषय पर महासभा की आम बहस के दौरान कहा, ‘आंकड़े अपने आप ही बोलते हैं खासकर छह करोड़ से अधिक लोगों के सुरक्षा परिषद के ठीक से काम नहीं करने से प्रभावित होने का सबसे बड़ा आंकड़ा है।’
मुखर्जी ने इस बात पर बल दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के काम को किसी प्रकार के अकादमिक प्रयास के रूप में अलग तौर पर नहीं देखा जा सकता है, जिसका दुनिया से कोई संबंध न हो।
उन्होंने कहा, ‘यह बात कि हमारे नेताओं ने पृथ्वी से एक पीढ़ी के अंदर गरीबी हटाने के लिए सर्वसम्मति से अतिमहत्वाकांक्षी एजेंडा 2030 अंगीकार किया है, एक संदर्भ और ढांचा प्रदान करती है। सुरक्षा परिषद के सुधार में हम जितनी ही देरी करेंगे, हम एजेंडा 2030 के सफल क्रियान्वयन के लिए, विशेषकर विकासशील देशों पर उतना ही अधिक दबाव डालेंगे।’