अलग-अलग स्थानों की मान्यता और कुछ जगहों पर परंपरा के अनुसार होलिका का दहन किया जाता है। कुछ स्थानों पर प्रदोष काल के बाद तो कई जगह मध्य रात्रि और ब्रह्म मुहूर्त में दहन होता है।
होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले धार्मिक कार्य विशेष फ ल प्रदान करते हैं। यही नहीं, वर्ष-पर्यंत आने वाली महारात्रि जैसे कालरात्रि, सिद्धरात्रि, मोहरात्रि के अंतर्गत आने वाली यह रात्रि सिद्धरात्रि की संज्ञा में मानी जाती है। इस दौरान अष्टमी से पूर्णिमा तक मध्य रात्रि व अपर रात्रि की साक्षी में की गई संकल्प भेंट की साधना मनोवांछित फ ल देती है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में इस रात्रि को सिद्ध रात्रि की श्रेणी में रखा गया है, इस दृष्टि से यह विशेष फलदायी है।
इस दिन रहेंगे यह योग
3 मार्च को रवि योग सुबह 10.33 से निरंतर
4 मार्च को सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 6.50 से 11.50 तक
5 मार्च को सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 11.28 से निरंतर, रवि योग 11.27 तक
6 मार्च को सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 10.39 तक, शुक्र पुष्य नक्षत्र 10.39 से दिनभर व अगले दिन शनिवार को 9.05 तक
7 मार्च को शनि प्रदोष, इसी दिन गुरु का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम चरण में प्रवेश होगा
8 मार्च को रवि योग, सुबह 6.57 से रात्रि और ब्रह्म मुहूर्त तक।
9 को भद्रा का योग दोपहर 1.19 बजे तक रहेगा, यानी होलिका दहन के वक्त भद्रा नहीं रहेगी। प्रदोषकाल में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6.35 से रात 11.50 बजे तक रहेगा। सोमवार व पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र से इस दौरान ध्वज योग रहेगा। इस दिन पूर्णिमा सूर्योदय से रात 11.30 बजे तक रहेगी। इसके बाद 10 मार्च को धुलेंडी होगी। रंगपंचमी 14 मार्च को होगी।