इससे पहले वर्ष 2016 में जमीन की कीमतें बढ़ाई गई थी। मंदी के दौर से गुजर रहे रियल एस्टेट कारोबार को राहत, कलेक्टर गाइड लाइन में 6वीं बार भी नहीं बढ़ेगी। हर साल भूमि व भवन की खरीदी-बिक्री पर लगने वाले रजिस्ट्री (मुद्रांक) शुल्क के लिए सरकारी गाइड लाइन (कीमत) तय किया जाता है। इसमें उपयोगिता व डिमांड के अनुसार ग्रामीण, शहरी, कृषि भूमि, भूखंड, मकान आदि के अलग-अलग सरकारी कीमत तय की जाती है। इसी के आधार पर पूरे साल खरीदी-बिक्री की रजिस्ट्री के लिए शुल्क वसूल किया जाता है। नए गाइड लाइन की दर हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ पहली अप्रैल से लागू हो जाती है। इस बार भी इसके लिए प्रपोजल तैयार कर स्वीकृति के लिए केंद्रीय समिति को भेजा गया है।
हर साल रिवाइज करने का है नियम
गाइड लाइन में हर वित्तीय वर्ष से पहले बाजार भाव, डिमांड को ध्यान में रखकर जमीन की कीमत रिवाइज करने का प्रावधान है। इसके लिए सर्वे व संबंधित लोगों से सुझाव लेने का नियम है। सर्वे व सुझाव के बाद ग्रामीण व शहरी, कृषि भूमि, भूखंड, मकान आदि के अलग-अलग कीमत तय की जाती है। इसी के आधार पर हर साल गाइड लाइन की नई दरें तय की जाती है।
गाइड लाइन में हर वित्तीय वर्ष से पहले बाजार भाव, डिमांड को ध्यान में रखकर जमीन की कीमत रिवाइज करने का प्रावधान है। इसके लिए सर्वे व संबंधित लोगों से सुझाव लेने का नियम है। सर्वे व सुझाव के बाद ग्रामीण व शहरी, कृषि भूमि, भूखंड, मकान आदि के अलग-अलग कीमत तय की जाती है। इसी के आधार पर हर साल गाइड लाइन की नई दरें तय की जाती है।
पहले विसंगति के कारण नहीं बढ़ाई कीमत
इससे पहले कई सालों तक बिना ठोस सर्वे के जमीन की कीमतों में अनुमान के आधार पर 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी की जाती रही है। इससे कलेक्टर गाइड लाइन में ज्यादातर इलाकों की जमीन की कीमत बाजार की वास्तविक कीमत से ज्यादा हो गई है। जमीन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से रजिस्ट्री में कमी के साथ राजस्व में भी कमी आई है। इसे देखते हुए जिला मूल्यांकन समिति ने वर्ष 2016 में पहली बार कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया था।
इससे पहले कई सालों तक बिना ठोस सर्वे के जमीन की कीमतों में अनुमान के आधार पर 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी की जाती रही है। इससे कलेक्टर गाइड लाइन में ज्यादातर इलाकों की जमीन की कीमत बाजार की वास्तविक कीमत से ज्यादा हो गई है। जमीन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से रजिस्ट्री में कमी के साथ राजस्व में भी कमी आई है। इसे देखते हुए जिला मूल्यांकन समिति ने वर्ष 2016 में पहली बार कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया था।
अब कोरोना का असर इसलिए यथावत का फैसला
इधर पिछले वित्तीय वर्ष में कोरोना के कारण कई दिनों तक रजिस्ट्री कार्यालय बंद रही। इस कारण रजिस्ट्री की कीमत नहीं बढ़ाई गई। कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद रहने से रियल एस्टेट कारोबार भी प्रभावित है। इसे देखते हुए इस बार भी कलेक्टर गाइड लाइन में कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया। पिछले सप्ताह जिला स्तरीय बैठक में यह निर्णय किया गया।
इधर पिछले वित्तीय वर्ष में कोरोना के कारण कई दिनों तक रजिस्ट्री कार्यालय बंद रही। इस कारण रजिस्ट्री की कीमत नहीं बढ़ाई गई। कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद रहने से रियल एस्टेट कारोबार भी प्रभावित है। इसे देखते हुए इस बार भी कलेक्टर गाइड लाइन में कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया। पिछले सप्ताह जिला स्तरीय बैठक में यह निर्णय किया गया।
आमदनी इस साल भी कम
राज्य सरकार की ओर से कलेक्टर गाइडलाइन में दी गई 30 फीसदी की छूट के बावजूद रायपुर जिला अपने टारगेट से पीछे है। 2021-22 के लिए रायपुर जिले को 465 करोड़ का टारगेट दिया गया था। लेकिन अभी तक विभाग 300 करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू पाया है। इसलिए भी पूरा प्रशासन गाइडलाइन रेट बढ़ाने के मूड में नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से कलेक्टर गाइडलाइन में दी गई 30 फीसदी की छूट के बावजूद रायपुर जिला अपने टारगेट से पीछे है। 2021-22 के लिए रायपुर जिले को 465 करोड़ का टारगेट दिया गया था। लेकिन अभी तक विभाग 300 करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू पाया है। इसलिए भी पूरा प्रशासन गाइडलाइन रेट बढ़ाने के मूड में नहीं है।
कीमत नहीं बढ़ाने से यह फायदे का दावा
- 4-5 सालों से मंदा चल रहे रीयल एस्टेट कारोबार में बूम आएगा।
- गाइड लाइन व बाजार भाव में विसंगति दूर करने में मिलेगी मदद।
- दरों में विसंगति खत्म होने से जमीन की खरीदी बिक्री भी बढ़ेगी।
- जमीन की खरीदी बिक्री बढने से सरकारी खजाने में राजस्व भी बढ़ेगा।
- 4-5 सालों से मंदा चल रहे रीयल एस्टेट कारोबार में बूम आएगा।
- गाइड लाइन व बाजार भाव में विसंगति दूर करने में मिलेगी मदद।
- दरों में विसंगति खत्म होने से जमीन की खरीदी बिक्री भी बढ़ेगी।
- जमीन की खरीदी बिक्री बढने से सरकारी खजाने में राजस्व भी बढ़ेगा।