रविवार को मामले का खुलासा करते हुए एएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी, एएसपी शहर लखन पटले और एएसपी ग्रामीण तारकेश्वर पटेल ने बताया कि रायपुर के गुढिय़ारी, मुजगहन, कोतवाली, विधानसभा और डीडी नगर इलाके के कैनरा बैंक के एटीएम को बंद करके राशि निकालने का मामला सामने आया था। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। पुलिस ने संबंधित एटीएम मशीनों के सीसीटीवी कैमरों के फु टेज और पैसे निकालने के लिए इस्तेमाल किए गए के्रडिट कार्डों की जांच की गई। इससे गिरोह का हरियाणा कनेक्शन होने का पता चला। फि र पुलिस ने तकनीकी जांच के जरिए गिरोह से जुड़े ग्राम धौज के शाहरूख खान, आसिफ खान और वसीम खान का पता लगाया। इसके बाद फ रीदाबाद जाकर दो दिन तक घेराबंदी की गई और तीनों को पकड़ लिया गया। आरोपियों से मोबाइल व अलग-अलग बैंकों के क्रेडिट कार्ड बरामद हुए हैं। सरगना शाहरुख नामक आरोपी है। वह अभी फ रार है।
राजस्थान- मप्र सहित देशभर में वारदात आरोपियों ने भिलाई सहित दिल्ली हरियाणा के पंचकुला, मध्यप्रदेश के सागर, राजस्थान और अन्य राज्यों में भी इसी तरह की वारदातें की हैं। जगदलपुर और धमतरी में भी इसी पैटर्न पर एक करोड़ रुपए से अधिक की ठगी के संबंध में भी उनसे पूछताछ की जा रही है। तीनों को एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
पूरा इलाका बदमाशों का पुलिस के मुताबिक आरोपी जिस गांव में रहते हैं, वहां के अधिकांश लोग ऐसे अपराधों में संलिप्त हैं। लोकल पुलिस वहां जाने से कतराती है। रायपुर से पहुंची पुलिस टीम को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा। इसलिए पुलिस टीम ने मोहल्ले से बाहर ही आउटर में ही आरोपियों की घेराबंदी की और धर-दबोचा।
वारदात का तरीका आरोपियों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उनके पास एक मास्टर चाबी है, जिससे एटीएम का पैनल खोलते थे। आरोपी एटीएम बूथ में प्रवेश करते ही मशीन का पैनल मास्टर चाबी से खोलते थे। फि र एटीएम कार्ड को मशीन में लगाकर सामान्य तरीके से पैसे निकालते थे। जैसे ही रकम मशीन के ट्रे में आती थी, तभी आरोपी मशीन के पैनल के अंदर हाथ डालकर कुछ सेकंड के लिए स्विच ऑफ कर देते थे। इससे मशीन से राशि निकल जाती थी, लेकिन आहरण का मैसेज संबंधित बैंक,खाता धारक के रेकॉर्ड में अपडेट नहीं हो पाता था।
कई बैंक खाते पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने अपने करीबियों के नाम से कई बैंक खाते खुलवा रखे हैं। उन खातों में 40-50 हजार रुपए राशि जमा करवाते थे और उनका एटीएम अपने पास रखते थे। वे एटीएम में जाकर उन्हीं खातों से रकम निकालते थे। इन खातों से राशि निकल जाती थी, लेकिन बैंक के रिकार्ड में उन खातों में मूल राशि उतनी ही दिखती थी। आरोपी आसानी से रकम निकाल लेते थे और खाता रेकॉर्ड में जमा रकम जस की तस रहती थी।