मोदी पर हमले की रची थी साजिश
बोधगया को विस्फोटों से दहलाने वाला आतंकी हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, मुजिबुल्लाह और इम्तियाज अंसारी को अंतत: उसके जुर्मों की सजा मिली है। बोधगया ब्लास्ट के जिन आरोपियों के खिलाफ एनआइए कोर्ट ने सजा सुनाई है, यही आरोपी 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुए ब्लास्ट के भी आरोपी है।
रायपुर में चला रहा था ट्रेनिंग कैम्प
हैदर, उमेर और उनकी टीम ने छत्तीसगढ़ में युवाओं को भर्ती के लिए अभियान चला रखा था। भारत में आइएसआइएस के लिए भर्ती अभियान की अगुवाई करने वाला सुल्तान अहमद अरमार उर्फ पुजारी छत्तीसगढ़ में ध्वस्त किए गए सिमी के स्लीपर सेल के सीधे संपर्क में था। गौरतलब है कि अलकायदा के लिए काम करते आए सुल्तान ने पटना और बोधगया ब्लास्ट से पहले मई 2013 में आइएसआइएस की सदस्यता लेकर ऑनलाइन शपथ ली थी। यानी जब रायपुर में हैदर अली, उमर सिद्दीकी और उनके साथी युवाओं को जिहाद के लिए उकसा रहे थे, तब सुल्तान आइएसआइएस की शरण में जा चुका था।
छत्तीसगढ़ के सिम कार्ड का किया इस्तेमाल
एनआइए की चार्जशीट में कहा गया है कि इन्हीं लोगों ने पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व पटना के गांधी मैदान के अलावा कानपुर एवं दिल्ली में मोदी पर हमले के लिए रेकी की थी, लेकिन साजिश में शामिल रायपुर के दाउद खान के डर जाने से उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा। चौंका देने वाला तथ्य यह था कि पटना के गांधी मैदान और बोधगया विस्फोट में ज्यादातर आरोपियों ने जिन सिम कार्ड का इस्तेमाल किया, वो छत्तीसगढ़ से ही हासिल किए गए थे। एनआइए की रिपोर्ट की मानें, तो राजधानी रायपुर में रहकर इन लोगों ने बोधगया और पटना बम ब्लास्ट की साजिश रची थी। एनआइए की रिपोर्ट कहती है कि यह गिरोह इतना शातिर था कि बोधगया में सीरियल ब्लास्ट को उसने महज विस्फोटकों की मारक क्षमता का अंदाज लगाने के लिए अंजाम दिया था, जबकि उसके निशाने पर नरेंद्र मोदी थे।