अध्यक्ष ने बताया कि शिकायतकर्ताओं ने आयोग के समक्ष बताया कि एक शिक्षक होने के साथ समाज का सचिव है, जो समाज के लोगों को डराकर अर्थदंड वसूलता है। शिकायतकर्ताओं की भतीजी का विवाह जिस लड़के से हुआ था, वह शादी के तुरंत बाद शराब के नशे में पागलों की तरह हरकत कर रहा था। इस प शिकायतकर्ताओं की भतीजी ने ससुराल जाने से मना कर दिया। लड़की के ससुराल नहीं आने की बात सुनकर समाज प्रमुखों ने शिकायतकर्ताओं से तीस हजार रुपये अर्थदंड के रूप में वसूली की।
यही नहीं शिकायतकर्ताओं से बात करने वाले गांव के लोगों पर पन्द्रह-पन्द्रह सौ रुपये का अर्थदंड लगाया। इस तरह गांव वालों से कुल 45 हजार रुपए वसूला गया। आयोग की समझाइस पर समाज प्रमुखों ने शिकायकताओं से आयोग के समक्ष माफी मांगा है और अर्थदंड की वापसी के लिए समय मांगा है। आगामी सुनवाई में अर्थदंड के साथ समाज प्रमुख को उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
एक अन्य मामले में आरोपी पति ने स्वीकार किया कि उसने अपनी पत्नी से तलाक नहीं लिया और दूसरी शादी कर ली है। दूसरी पत्नी से 10 साल, 8 साल और 6 साल के तीन बच्चे है। पहली पत्नी से चार बच्चे हैं, जिसका पालन-पोषण प्रार्थिया ने किया है। आरोपी पति ने यह भी स्वीकार किया कि अपनी पत्नी को कोई भरण-पोषण राशि नहीं दी है। आरोपी पति 1500 रुपये महीना देने की बात कही, जिस पर आयोग ने कहा 3000 रुपये महीना देगा तो तो प्रार्थिया उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
छात्र-छात्रा के बीच टीका-टिप्पणी के बाद मारपीट
एक अन्य मामले में महाविद्यालय की छात्रा ने आयोग के समक्ष एक छात्र की शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थिया ने कहा कि उसके और आरोपी छात्र के बीच गलतफहमी के कारण टीका टिप्पणी और मारपीट की घटना हुई है, जिससे प्रार्थिया को परेशानी हुई। चूंकि दोनों महाविद्यालय में अध्ययनरत हैं और पढ़ाई के अंतिम वर्ष में हैं। आयोग की समझाइश पर दोनों पक्षों ने आयोग के समक्ष स्वीकार किया है कि भविष्य में किसी भी तरह से सोशल मीडिया में गलत टिप्पणी नहीं करेंगे। इस तरह प्रकरण को निराकरण किया गया।