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स्वामी विवेकानंद ने रायपुर के डे भवन में बिताए थे दो साल, ट्रस्ट ने इस वजह से छिपाई थी ये बात

locationरायपुरPublished: Jan 14, 2018 01:16:38 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

डे भवन में विवेकानंद रहे थे, उस भवन का संचालन कर रहा रायबहादुर भूतनाथ डे चैरेटिबल ट्रस्ट विवेकानंद के स्मारक के लिए जमीन देने को तैयार है।

Swami Vivekananda memorial

Swami Vivekananda memorial

रायपुर . छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जिस डे भवन में विवेकानंद रहे थे, उस भवन का संचालन कर रहा रायबहादुर भूतनाथ डे चैरेटिबल ट्रस्ट स्वामी विवेकानंद के स्मारक के लिए जमीन देने को तैयार है। हालांकि ट्रस्ट का कहना है कि इसके एवज में उसे किसी दूसरी जगह जमीन आवंटित कर दी जाए, जहां ट्रस्ट अपने स्कूल हरिनाथ अकादमी का संचालन कर सके। इसके लिए ट्रस्ट की मुख्यमंत्री स्तर पर बातचीत भी हो चुकी है। रविवार को ट्रस्ट की बैठक भी होगी।

अभी क्या है स्थिति
डे भवन में विवेकानंद का कोई स्मृतिचिन्ह शेष नहीं है। अधिग्रहण की आशंका से ग्रस्त ट्रस्ट सार्वजनिक रूप से इस बात को छिपाने की कोशिश करता है कि डे भवन में कभी विवेकानंद रहे थे। यहां काम करने वाले विवेकानंद का नाम लेने से भी बचते हैं। डे भवन में पूर्व में स्थापित शिलालेख, जो स्वामी विवेकानन्द के यहां निवास करने को प्रमाणित करता था, उसका अब कोई पता नहीं है।

माना जाता है कि शासन द्वारा भवन को संग्रहालय के रूप में विकसित करने की चर्चाओं के कारण भवन-स्वामी ने शिलालेख को हटवा दिया। विवेकानन्द के अनुयायी चाहते हैं कि यहां एक संग्रहालय बने, जहां उनकी यादों को संजोकर रखा जाए और नई पीढ़ी तक उनके आदर्शों को संग्रहालय के माध्यम से पहुंचाया जा सके, लेकिन निजी संपत्ति होने की वजह से अनुयायी बेबस हैं।

यह अंकित था शिलालेख पर
‘पत्रिका’ को मिली तस्वीर के मुताबिक उक्त शिलालेख में यह अंकित था – स्वामी विवेकानन्द (नरेन्द्रनाथ) का रायपुर प्रवास में निवास स्थान : स्वामी विवेकानन्द सन् १८७७ ई. में मां, भाई, बहन के साथ कलकत्ता से सेन्ट्रल प्रोविन्स के रायपुर में नागपुर से चार बैलगाडिय़ों में करीबन एक माह की यात्रा करते हुए पहुंचे। उनके साथ रायबहादुर भूतनाथ डे (एमए, बीएल) एवं उनका छह माह का पुत्र हरिनाथ डे (भाषाविद्) भी थे। एक साथ यात्रा करके इसी ”डे भवन’ में निवास किया था।

रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद आश्रम रायपुर प्रमुख स्वामी सत्यरूपानंद ने कहा कि डॉ. रमन सिंह जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तभी हमने स्वामी विवेकानन्द के संग्रहालय को लेकर चर्चा की थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हो पाया। स्वामी विवेकानन्द जहां ठहरे थे, वह निजी संपत्ति है। हालांकि तब वे विवेकानन्द न होकर नरेन्द्रनाथ थे, इसलिए आश्रम द्वारा वहां किसी भी तरह से कार्य कराना कठिन है। अब हम जीई रोड स्थित आश्रम परिसर में ही स्वामी विवेकानन्द स्मृति संस्थान बनाना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक संसाधन की कमी की वजह से कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
सदस्य डे भवन ट्रस्ट कमेटी राजेन्द्र बैनर्जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का शिलालेख डे भवन में लगाने पर कोई दिक्कत ट्रस्ट कमेटी को नहीं है, लेकिन सरकार की तरफ से ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा रहा है। केवल बीच-बीच में संग्रहालय बनाने की बातें होती रहती हैं, जबकि उस जगह पर अभी स्कूल का संचालन किया जा रहा है। इस सम्बंध में मुख्यमंत्री रमन सिंह से भी चर्चा हो चुकी है। ट्रस्ट कमेटी के प्रस्ताव की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। हमें अलग जगह जमीन दे दी जाए और साथ ही, डे भवन का मूल्य दिया जाए, ताकि हम नई जमीन पर स्कूल बनाकर चला सकें।
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