कांग्रेस पार्टी से अलग पार्टी बनाने के सवाल पर मंत्री सिंहदेव ने कहा, मेरे परिवार की पांच पीढिय़ां कांग्रेस के साथ आजादी के पहले से जुड़ी रहीं। मेरे लिए कांग्रेस से बाहर की बात सोचना भी कठिन है। मुझे ऐसी राजनीति में नहीं रहना, जहां वैचारिक रूप से कदम-कदम पर असहमति हो।
बातों को अंजाम तक ले जाने का समय आ गया
मंत्री सिंहदेव ने अपने राजनीतिक सफर का जिक्र करते हुए कहा, कुछ चीजें बची हैं, जिनके लिए संकेत भी दिए गए हैं। देखते हैं क्या होता है। हम लोग लगे हुए है और प्रयास कर रहे हैं। यह सब निकट भविष्य के गर्त में है। डिलीवरी होने वाली है। क्या होगा मैं नहीं कहता, लेकिन अब बातों को अंजाम तक ले जाने का समय आ गया है। क्या होगा नहीं पता है पर कुछ तो होगा। राजनीति में कही गई बातें कई बार पूरी होती है कई बार पूरी नहीं होती, लेकिन जो होना है अब जल्द होगा।
सब हाईकमान पर
मंत्री सिंहदेव ने कहा, आप सब जानते हैं कि चुनाव के बाद चार लोगों को दिल्ली बुलाया गया था। उस समय तक दिमाग में कोई बात नहीं थीं। वहां जो चर्चा हुई उसके बाद जो परिस्थिति बनी, उसमें मीडिया में कई बातें चलती रही। मैं अनुशासन प्रिय हूं, पार्टी के अनुशासन में बंधा हुआ हूं, आज नहीं बोल पाऊंगा। यह बातें होती रही हैं। यह सब हाईकमान स्तर की बातें होती हैं। मैं भी हाईकमान से व्यक्तिगत संपर्क में रहा। अब परिवर्तन होगा या नहीं, यह हाईकमान पर है।
हमेशा संख्या बल का महत्व नहीं रहता
एक प्रश्न के जवाब में मंत्री सिंहदेव ने कहा, संख्या बल का महत्व हमेशा नहीं रहता। जोगी जी जब मुख्यमंत्री बने थे, तो कितने लोग साथ में थे। आप किसी भी राज्य के दल की स्थिति देख ले तो वन प्लस वन टू नहीं होता है। कभी-कभी चर्चा होती है कि राज्य निर्माण के समय फलाने के साथ कितने विधायक सहमत थे, लेकिन वो नहीं बने। उस समय जो निर्णय हुए उसे हम पार्टी के अनुशासित सदस्य के नाते मान कर चलते हैं। बगावत का झंडा लेकर खड़ा होना अनुशासनहीनता है। यदि परिवार में रहना है और जिम्मेदार सदस्य के रूप में चलाना है, तो परिवार का निर्णय मानना होता है।
पिता ने राजनीति में आने से किया था मना
मंत्री सिंहदेव ने बताया, उनके पिता ने कहा था कि राजनीति में नहीं आना है। उनकी बात नहीं बनी और वहीं से राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। उनको लगा होगा कि मैं राजनीति के लिए फिट नहीं हूं। उन्हें लगा शायद ज्यादा आदर्शवादी है, तो राजनीति में नहीं चलेगा। उन्होंने मुझे पत्र लिखकर मना किया था। इसके बाद भी राजनीति में आया और इस भंवर में फंस गया। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो मुझे विभाग भी चुनने का अवसर दिया।