वहीं शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव आदिवासियों के बीच पहुंचे और उनकी मांगों का समर्थन किया। बता दें इससे पहले भी मंत्री सिंहदेव ने ट्वीटकर इनका समर्थन किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी मुख्यमंत्री निवास में आदिवासियों से बात की। शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोई ध्यान आकर्षित करने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं, उसमें कोई मनाही नहीं है।
नो गो एरिया को लेकर भारत सरकार की तरफ से लिखित में कोई दस्तावेज नहीं है। आदिवासियों की लड़ाई भारत सरकार के साथ है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जहां गए थे, उस इलाके को आरक्षित किया गया है। भारत सरकार ने 452 वर्ग किलोमीटर की बात कही थी, हम तो 1995 वर्ग किलोमीटर का दायरा रख रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि यहां पेसा कानून को नजर अंदाज कर खनन गतिविधियों को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। उनका आरोप है कि इस पूरे मामले में स्थानीय शासन-प्रशासन की भूमिका अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका कहना है, इस क्षेत्र को 2010 में नो-गो क्षेत्र घोषित किया गया था, परंतु बड़े-पैमाने पर कोयला खदानों का आवंटन किया गया है। ग्रामीणों की मांग है कि, हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजनाओं को निरस्त किया जाए। इसके अलावा उनकी कई मांगे भी शामिल हैं। इससे पहले ग्रामीणों ने बिलासपुर रोड से शहर में प्रवेश किया और कलेक्ट्रेट के पास स्थित डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा तक पहुंचे।
बातचीत से होगा समस्या का समाधान- सीएम
हसदेव पदयात्रा पर मुख्यमंत्री ने कहा, जो बातचीत करना चाहते हैं, हम उन सब से बातचीत कर रहे हैं। किसी से कोई मनाही नहीं है। उनकी तरफ से मिलने का कोई ऑफर नहीं आया। बातचीत से ही समस्याओं का समाधान होगा।
सभी की बात सुननी चाहिए
इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा, मुख्यमंत्री निवास ऐसा दरबार है जहां कोई पहुंच ही नहीं पाता। पूरे वनवासी क्षेत्र में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। अगर कहीं नाराजगी है तो मुख्यमंत्री की जवाबदारी है कि सभी की बात को सुनना चाहिए।