आप कर सकते हैं शिकायत
अगर दवा दुकानदार आपको प्राइज कंट्रोल वाली दवाओं को निर्धारित एमआरपी से अधिक पर बेच रहे हैं, तो आप एनपीपीए वेबसाइट पर जाकर जन समाधान में ऑन-लाइन शिकायत करते हैं। टोल फ्री नंबर ९१-११-२३७४६६४७ पर शिकायत कर दर्ज करवा सकते हैं।
फॉर्मा सही दाम में जांचें दवा के दाम
केंद्र सरकार के ‘फॉर्मा सही दामÓ मोबाइल एप के जरिए आप सभी प्राइज कंट्रोल दवाओं की जानकारी इससे हासिल की जा सकती है।
ऐसे चलता है पूरा खेल
जब भी एनपीपीए दवाओं पर प्राइज कंट्रोल करती हैं तो फिर कंपनियां अपना मुनाफा तलाशने लगती हैं। अगर उन्हें लगता है कि मुनाफा हो रहा है तो ठीक, वरना वे कॉम्बिनेशन ही बदल देती हैं। नए कॉम्बिनेशन से बाजार में दवाएं लेकर आ जाती हैं। प्राइज कंट्रोल वाली दवाओं का उत्पादन कम करने लगती हैं, बाजार में कमी हो जाती है। कई कंपनियां उत्पादन ही बंद कर देती हैं।’पत्रिकाÓ से बातचीत में थोक दवा विक्रेताओं ने एक उदाहरण के जरिए इस खेल को समझाया। बताया कि एनपीपीए ने एक मल्टीनेशनल दवा कंपनी के दर्द निवारक डायक्लोफेनिक इंजेक्शन, तीन की दर 10 रुपए निर्धारित की, तो कंपनी ने इसके फॉर्मूले में परिवर्तन करते हुए इसे एक एमएल में लांच किया, और इसकी दर २८ रुपए कर दी। इस पर अब कोई नियंत्रण नहीं है।
इन पर कार्रवाई
रिप्रा फॉम्यूलेशन प्राइवेट लिमिटेड, हरिद्वार और स्विस गॉर्नियर बायोटेक हिमाचल प्रदेश की कंपनी पर लगा जुर्माना।
रायपुर दवा विक्रेता संघ के सचिव अश्वनी विग ने बताया कि जीवन-रक्षक दवाओं के प्राइज कंट्रोल का मकसद ही है कि वह सस्ती दरों में आम मरीजों को मुहैया हों। कुछ कंपनियां नियमों का पालन करती हैं मगर कुछ तोड़ भी निकाल लेती हैं।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के सहायक औषधि नियंत्रक हिरेंद्र पटेल ने बताया कि एनपीपीए द्वारा जिन दवाओं को प्राइज कंट्रोल के दायरे में लाया गया है, निर्धारित दर से एक पैसा भी अधिक दर पर उन्हें नहीं बेचा जा सकता है। यह उपभोक्ताओं के साथ ठगी है। राज्य स्तर पर इसकी निगरानी जारी है।
अगर दवा दुकानदार आपको प्राइज कंट्रोल वाली दवाओं को निर्धारित एमआरपी से अधिक पर बेच रहे हैं, तो आप एनपीपीए वेबसाइट पर जाकर जन समाधान में ऑन-लाइन शिकायत करते हैं। टोल फ्री नंबर ९१-११-२३७४६६४७ पर शिकायत कर दर्ज करवा सकते हैं।
फॉर्मा सही दाम में जांचें दवा के दाम
केंद्र सरकार के ‘फॉर्मा सही दामÓ मोबाइल एप के जरिए आप सभी प्राइज कंट्रोल दवाओं की जानकारी इससे हासिल की जा सकती है।
ऐसे चलता है पूरा खेल
जब भी एनपीपीए दवाओं पर प्राइज कंट्रोल करती हैं तो फिर कंपनियां अपना मुनाफा तलाशने लगती हैं। अगर उन्हें लगता है कि मुनाफा हो रहा है तो ठीक, वरना वे कॉम्बिनेशन ही बदल देती हैं। नए कॉम्बिनेशन से बाजार में दवाएं लेकर आ जाती हैं। प्राइज कंट्रोल वाली दवाओं का उत्पादन कम करने लगती हैं, बाजार में कमी हो जाती है। कई कंपनियां उत्पादन ही बंद कर देती हैं।’पत्रिकाÓ से बातचीत में थोक दवा विक्रेताओं ने एक उदाहरण के जरिए इस खेल को समझाया। बताया कि एनपीपीए ने एक मल्टीनेशनल दवा कंपनी के दर्द निवारक डायक्लोफेनिक इंजेक्शन, तीन की दर 10 रुपए निर्धारित की, तो कंपनी ने इसके फॉर्मूले में परिवर्तन करते हुए इसे एक एमएल में लांच किया, और इसकी दर २८ रुपए कर दी। इस पर अब कोई नियंत्रण नहीं है।
इन पर कार्रवाई
रिप्रा फॉम्यूलेशन प्राइवेट लिमिटेड, हरिद्वार और स्विस गॉर्नियर बायोटेक हिमाचल प्रदेश की कंपनी पर लगा जुर्माना।
रायपुर दवा विक्रेता संघ के सचिव अश्वनी विग ने बताया कि जीवन-रक्षक दवाओं के प्राइज कंट्रोल का मकसद ही है कि वह सस्ती दरों में आम मरीजों को मुहैया हों। कुछ कंपनियां नियमों का पालन करती हैं मगर कुछ तोड़ भी निकाल लेती हैं।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के सहायक औषधि नियंत्रक हिरेंद्र पटेल ने बताया कि एनपीपीए द्वारा जिन दवाओं को प्राइज कंट्रोल के दायरे में लाया गया है, निर्धारित दर से एक पैसा भी अधिक दर पर उन्हें नहीं बेचा जा सकता है। यह उपभोक्ताओं के साथ ठगी है। राज्य स्तर पर इसकी निगरानी जारी है।