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कोरोना संक्रमित को प्लाज्मा देने के लिए रायपुर में दो लोग तैयार, एक डोनर से दो मरीजों की बचाई जा सकती है जान

locationरायपुरPublished: May 27, 2020 04:23:44 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

संक्रमित रोगियों को प्लाज्मा देने के लिए रायपुर में दो डोनर भी तैयार हो गए है। डोनर रायपुर स्थित हर्षित विहार कॉलोनी का बताया जा रहा है। एम्स प्रबंधन का कहना है कि एंटी सार्स कोव-2 प्लाज्मा का उपचार रोगियों पर सुरक्षित है या नहीं, पहले इस बात की जांच की जाएगी।

रायपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर ने कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का क्लिनिक ट्रायल करने की तैयारी कर ली है। संक्रमित रोगियों को प्लाज्मा देने के लिए रायपुर में दो डोनर भी तैयार हो गए है। डोनर रायपुर स्थित हर्षित विहार कॉलोनी का बताया जा रहा है। एम्स प्रबंधन का कहना है कि एंटी सार्स कोव-2 प्लाज्मा का उपचार रोगियों पर सुरक्षित है या नहीं, पहले इस बात की जांच की जाएगी। क्लिनिकल प्रमाणिकता परखने में सुरक्षित पाए जाने पर ही प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग किया जाएगा।

कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके हर मरीज का प्लाज्मा नहीं लिया जा सकता है। ठीक हुए उन्हीं लोगों का प्लाज्मा लिया जा सकता है, जिन्हें हाइपरटेंशन, मधुमेह व कोई अन्य बीमारियां न हो। कोरोना के गंभीर मरीज को 100 से 200 एमएल प्लाज्मा देने की जरूरत होती है। डोनेशन से पहले मरीज की एंटीबॉडी टाइटर जांची जाती है। एक डोनर से दो मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

डोनर के शरीर में दो सप्ताह में प्लाज्मा वापस बन जाता है। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल के अंतर्गत इंटरवेंशन और कंट्रोल आर्म ग्रुप बनाए जाएंगे, जिसमें इंटरवेंशन आर्म में शामिल रोगियों को 200 मिली का कोवल्सेंट प्लाज्मा दिया जाएगा, जबकि कंट्रोल ग्रुप में सामान्य उपचार प्रदान किया जाएगा। प्लाज्मा डोनेट करने की प्रकिया में करीब डेढ़ से दो घंटे लगते हैं।

प्रदेश में सीवियर केस नहीं, माइल्ड और मॉडरेट मिले

एम्स रायपुर से अब तक ६३ संक्रमित मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं, जबकि 5० का इलाज किया जा रहा है। प्रदेशभर में अभी तक 2८३ कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं, जिसमें से 67 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में अब तक जितने कोरोना संक्रमित मिले हैं उसमें अधिकतर माइल्ड (हल्का) असर वायरस वाले ही पाए गए हैं। 8-10 मॉडरेट (मध्यम) मिले हैं।

यह होती है प्लाज्मा थैरेपी

जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो जाता है, तब उसके शरीर में कोरोना वायरस को बेअसर करने वाले विशेष प्रकार के प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। अर्थात बाहर से जो वायरस शरीर में प्रवेश करता है, एंटीबॉडी उसका सामना करता है। खून में मौजूद एंटीबॉडी से कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए संक्रमित मरीज के शरीर में मौजूद कोरोना वायरस को खत्म किया जाता है।

छत्तीसगढ़ में अब तक ऐसा गंभीर मरीज नहीं मिला है, जिसे वेंटीलेटर की जरूरत पड़ी हो। बिलासपुर के कोविड-19 अस्पताल में भर्ती दो मरीजों की स्थिति में सुधार नहीं होने पर शनिवार को एम्स में भर्ती कराया गया था।

-डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, उप संचालक एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग

 

प्लाज्मा थैरेपी का क्लिनिक ट्रायल करने के लिए हमारी तैयारी पूरी है। डोनर भी तैयार हो गए हैं। एम्स में अभी तक जितने मरीज आए हैं या भर्ती हैं, उसमें से किसी को अब तक ऑक्सीजन या वेंटीलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है।

-डॉ. नितिन एम नागरकर, निदेशक, एम्स, रायपुर

 

एम्स किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार

प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण अब तेजी से पांव पसार रहा है। पिछले तीन-चार दिनों में लगातार बड़ी संख्या में नए कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं। हालांकि, एम्स प्रबंधन का कहना है कि प्रदेशवासियों को डरने की जरूरत नहीं है। एम्स में सभी प्रकार के इलाज की सुविधा उपलब्ध है। एम्स अधीक्षक डॉ. करन पीपरे ने बताया कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

आयुष बिल्डिंग में 85 बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड हैं, जहां पर मरीजों का इलाज चल रहा है। इसके अलावा डी ब्लॉक के सी-1 में 220 बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड तैयार हैं, जहां पर 75 वेंटीलेटर लगाया गया है। 750 से ज्यादा पीपीई कीट उपलब्ध है और 5 हजार का ऑर्डर कर दिया गया है। कोरोना संक्रमित मरीजों को दी जाने वाली दवाओं का भी पर्याप्त मात्रा में स्टॉक उपलब्ध है।

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