पांच घंटे तक पड़े रहे घटना स्थल पर
ट्रेन रुकने के करीब 30 मिनट बाद फायर ब्रिगेड आई। जब तक आग में कई लोगों के कीमती समान जल गए। अधिकांश लोगों के कपड़े और डॉक्यूमेंट राख हो गए। घटनास्थल पर 3.10 बजे ट्रेन रोकी गई थी। शाम 5.53 बजे धौलपुर से रवाना किया गया। ग्वालियर स्टेशन पर ट्रेन 7.02 बजे आई। यहां से ट्रेन रात 8.54 बजे रवाना हुई है। 2 घंटे यहां ट्रेन खड़ी रही। उसी गाड़ी में जहां जिसे जगह मिली सब सवार हुए। वहां रेलवे ने कोई सुविधा नहीं दी। अधिकांश लोगों का समान छूट गया। झांसी में रेलवे ने कंबल और यात्रियों के खाने की व्यवस्था की।
ट्रेन का स्टाफ और आर्मी के एक जवान ने जलते हुए डिब्बों को किया अलग
मिंटू कुमार दिल्ली से उधमपुर-दुर्ग ट्रेन में बैठे थे। चंबल पुल में ही ए-1 में धुआं उठने लगा था। ट्रेन रुकते-रुकते दो डिब्बे पूरी तरह आग के चपेट में आ गए थे। चेन खींचने के बाद लोग चलती ट्रेन से कूदने लगे थे। मिंटू ने बताया कि ट्रेन रुकते ही सेना के एक जवान ने आग की चपेट में आई बोगियों को अलग करने के लिए इंटरलॉक खोला। हालांकि तब तक ट्रेन में मौजूद रेलवे का स्टाफ भी पहुंच गया था।
लाइट भी जलाने से घबरा रहे थे लोग
पंजाब से रायपुर आ रहे लोहा व्यापारी प्रिंस दीवान ने बताया यात्री ऐसे घबराए थे कि घटना के बाद भी बोगी में शार्ट सर्किट के डर से लाइट भी नहीं जला रहे थे। मामा के घर बिरगांव में सामाजिक कार्यक्रम शामिल होने आई जी. कुमारी ने बताया कि वो अपने बच्चों के साथ बी-6 में सफर कर रही थी। लोग बोगी में ब्लास्ट होने की बात कह रहे थे।
फिक्र ऐसी कि रात भर नींद नहीं आई
राजातालाब निवासी 65 वर्षीय महिला हरबंश कौर ने बताया कि वैसे वो कभी बेटी को लेने स्टेशन नहीं आती। जब से ट्रेन में आग की जानकारी मिली थी उनकी चिंता में रात भर नींद नहीं आई। इसलिए वह ट्रेन के आने से घंटों पहले ही स्टेशन पहुंच गई थी। जैसे ही ट्रेन बेटी, दामाद और नाती उतरे हरबंश कौर ने गले से लगाया और आंखे छलक गईं।
पांच घंटे लेट से पहुंची ट्रेन
सुबह 8 बजे पहुंचने वाली उधमपुर-दुर्ग ट्रेन शनिवार को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट पर पहुंची। ट्रेन के पहुंचने से पहले ही यात्रियों के परिजन स्टेशन पहुंच गए थे। ट्रेन में आगजनी के हादसे की खबर कुछ के आखों में चिंता थी, तो कुछ फूल लेकर स्वागत करने पहुंचे थे। कुछ यात्रियों ने बताया कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी ट्रेन में पानी तक नहीं था। ना ही खाने पीने के सामान बेंचने वाले वेंडर पहुंचे।