जून 2017 में हो जाना था काम पूरा
अंडरब्रिज का काम पिछले साल 2017 में जून महीने तक में पूरा हो जाना था। लेकिन निर्धारित अवधि में पूरा होना तो दूर निर्माण कार्य 50 प्रतिशत भी नहीं हो सका। अतिक्रमण हटाए जाने के बाद कंपनी ने नक्शे के हिसाब से अंडरब्रिज के लिए खुदाई के बाद बॉक्स तैयार किए। दोनों छोर से रास्ते निकालकर उसे वैसे ही छोड़ दिया।
क्रासिंग पूरा दिन जाम
उरकुरा-सरोना बाइपास रेललाइन से बड़ी संख्या में मालगाडिय़ां गुजरती हैं। हर 15वें मिनट में रेलवे फाटक बंद होता है। लंबी और धीमी रफ्तार की मालगाडिय़ों की वजह से फाटक खुलने में भी औसतन 15 मिनट लगते हैं। इस दौरान दोनों ओर दिनभर लंबा जाम लगता है। इसीलिए यहां अंडरब्रिज बनवाया जा रहा था, लेकिन काम में देरी की वजह से यह दिक्कत जल्दी कम नहीं होगी।
ठेकेदार ने लेट किया तो मानीटरिंग क्यों नहीं
जानकारों के मुताबिक टेंडर में ठेकेदार ने जो भी जानकारी दी, विभाग को उसकी पड़ताल करनी चाहिए थी कि संबंधित फर्म के पास वास्तव में वह संसाधन हैं या नहीं। यही नहीं, डेडलाइन के 9 महीने बीतने के बाद अब जाकर अफसरों ने कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करते हुए नोटिस जारी किया। इसलिए यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि काम शुरू होने के बाद ठीक से चल रहा है या नहीं, इसकी जिम्मेदारी जिन अफसरों को सौंपी गयी या जिन्हें मानीटरिंग करनी थी, उन्होंने समय पर विभाग को इससे अवगत क्यों नहीं करवाया?
फैक्ट फाइल
लंबाई-850 मीटर
चौड़ाई – 13 मीटर
ट्रैक पर ऊंचाई -9 मीटर
लागत -35 करोड़ 40 लाख
पहले जाम और अब रास्ते की चिंता
उरकुरा से सरोना जाने वाले मालगाड़ी रूट पर गोगांव मुख्य फाटक है, जिसके दोनों तरफ घनी आबादी है। मालगाड़ी गुजरते वक्त फाटक को 15 से 20 मिनट बंद करने से परेशानी बढ़ती है। ब्रिज का निर्माण शुरू होने के बाद अधूरे छोड़े निर्माण से अब जाम के साथ रिंग रोड-2 की ओर निकलने वाले बंद रास्ते की चिंता बढ़ गई है। हर दिन डेढ़ से दो लाख लोगों की आवाजाही प्रभावित हो रही।