वहीं दो लगने के लिए केन्द्र सरकार ने तीसरा डोज भी अनिवार्य कर दिया है, क्योंकि दूसरा डोज का असर ज्यादा दिन तक नहीं रहता है। इसलिए बूस्टर डोज अनिवार्य कर दिया है। वर्तमान में फ्रंट लाइन, स्वास्थ्य विभाग व बुजुर्गो को ही फ्री में प्रीकॉशन डोज लगाया जा रहा है। लेकिन ये लोग निशुल्क के बाद भी वैक्सीनेशन को लेकर सजग नजर नहीं आ रहे हैं। प्रीकॉशन डोज की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग मात्र 37.56 प्रतिशत, फ्रंट लाइन वर्कर 37.77 तो बुजुर्ग 9.15 प्रतिशत को ही लग पाया है। सरकारी कर्मचारी भी प्रीकॉशन डोज को लेकर गंभीर नहीं है। कर्मचारियों पर भी प्रीकॉशन डोज के लिए दबाव नहीं बना पा रहे।
जिले में बूस्टर डोज अब तक मात्र 11 प्रतिशत लोगों को ही लगा है। इधर जिले में भी चौथी लहर की दस्तक हो चुकी है। ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा ऐसे लोगों को है, जो बूस्टर डोज नहीं लिए है। बूस्टर डोज को लेकर स्वास्थ्य विभाग फ्रंट लाइन भी रुचि नहीं ले रहे हैं।
दो माह में दो लाख वैक्सीनेशन का लक्ष्य
जिले में वर्तमान में वैक्सीनेशन को अभियान चलाया जा रहा है। अगस्त माह तक 1 लाख 80 हजार वैक्सीनेशन का टारगेट निर्धारित किया गया है। क्योंकि कोविशील्ड का 1 लाख 80 डोज 30 अगस्त को एक्सपायरी हो जाएगी। इसलिए स्कूल सहित सीएचसी, पीएससी में जाकर लगातार वैक्सीनेशन किया जा रहा है। बावजूद लोग है कि इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हर रोज मात्र दो से तीन वैक्सीनेशन हो पा रहा है।
इधर वैक्सीनेशन के लिए मैसेज, फिर भी भटक रहे 18 प्लस
इधर जिले के 18 प्लस के करीब 4 लोगों को बूस्टर डोज का समय आ चुका है। ऐसे लोगाें के पास लगातार नजदीकी निजी अस्पताल में जाकर वैक्सीनेशन के लिए मैसेज भेजा जा रहा है। लेकिन जिले का बड़ा दुर्भाग्य है कि एक भी निजी अस्पताल संचालक बूस्टर डोज लगाने के लिए अब तक तैयार नहीं हुए हैं। इसका खामियाजा 18 प्लस लोगों को भुगतना पड़ रहा है। 18 प्लस का बूस्टर जिले में अब तक जीरो है।
कोरोना संक्रमण खत्म होने के कारण अब लोग वैक्सीनेशन के लिए रुचि नहीं ले रहे हैं। वैक्सीनेशन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। दो माह में 1 लाख 80 वैक्सीनेशन का लक्ष्य है। अब कोरोना संक्रमण बढ़ने से पहले से थोड़ा वैक्सीनेशन का रफ्तार बढ़ा है।
डॉ. आरके सिंह, सीएमएचओ