घर बनवाते या खरीदते समय आजकल बच्चों के रूम को भी ध्यान में रखा जाता है। यदि बच्चों का कमरा सही दिशा में है तो बच्चे भी सही दिशा में बढ़ते हैं।
पं. देवनारायण शर्मा/रायपुर. घर बनवाते या खरीदते समय आजकल बच्चों के रूम को भी ध्यान में रखा जाता है। वास्तु शास्त्र में भी छोटे बच्चों व किशोरावास्था वाले बच्चों के रूम के बारे में बताया गया है। इसके अलावा फेंगशुई में भी इसे महत्व दिया गया है। यदि बच्चों का कमरा सही दिशा में है तो बच्चे भी सही दिशा में बढ़ते हैं और पढ़ाई-लिखाई व अन्य क्षेत्र में कोई मुश्किल नहीं आती। आइए जानते हैं बच्चों का रूम कहां और कैसा होना चाहिए।
घर में बच्चों का रूम उनके काम पर निर्भर करता है। यदि बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं तो निम्न कमरे उनके लिए लाभदायक माने गए हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
– पढ़ाई के लिए सर्वोत्तम कमरा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) का है।
– पढ़ाई के लिए दूसरा कमरा पूर्व का है।
– उत्तर दिशा में स्थित कमरा भी लाभदायक होता है।
– अगर बच्चे नौकरी या व्यवसाय में लग गए हैं तो उनके लिए पश्चिम और दक्षिण का कमरा उपयुक्त होता है।
– शादी करने योग्य लड़की के लिए वायव्य का कमरा अत्यंत लाभदायक होता है।
– वायव्य कोण का तत्व वायु है जो की चंचल है इसलिए वायव्य कोण में सोने से लड़कियों की शादी अतिशीघ्र होती है।
– शादी करने योग्य लड़की या अतिथि को पश्चिम में सिर करके सोने से ज्यादा लाभ मिलता है।
– जो बच्चे डल होते है या जो बच्चे सुस्त होते हैं उनको आग्नेय कोण स्थित शयन कक्ष में सुलाएं जिससे बच्चे एक्टिव हो जाएंगे।
– लेकिन ध्यान रहे जो बच्चे एक्टिव हैं उनके ओवर एक्टिव होने से समस्या खड़ी हो सकती है।
– इसलिए अलग-अलग स्थिति में अलग-अलग शयन कक्ष का विधान है।