रायपुर के वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ पंडि़त देवनारायण शास्त्री (vastu for house) ने बताया कि भूमि चयन के लिए कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना बेहद ही जरूरी है। क्याोंकि इस जगह में आपको जीवन बीताना होगा। सही भूमि का चयन कर लेते है तो जीवनभर (vastu for home) कोई भी तकलीफ नहीं आएगी। लेकिन अगर थोड़ी सी भूल हो गई तो बेहद ही खतरनाक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
– वास्तु शास्त्र में मिट्टी को उसके रंग, स्वाद और महक के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है- ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य व शूद्र।
– जो मिट्टी श्वेत, थोड़ी लाल, भीनी-भीनी महक वाली और उपजाऊ होती है वह आवास तथा व्यावसायिक कार्यों के लिए बहुत शुभ होती है।
– काले वर्ण की दुर्गंधित और तीखे स्वाद वाली मिट्टी को अशुभ माना जाता है।
– सिविल इंजीनियरिंग के अनुसार भी काली मिटटी को भवन निर्माण के लिए उपयुक्त नही माना जाता।
– काली मिटटी के उपर जो निर्माण कार्य होता है उसमें अति शीघ्र दरार पडऩे की सम्भावना होती है।
– काली मिटटी का स्वभाव है कि यह ठण्ड में शीघ्र सिकुड़ जाता है और गर्मी में फ़ैल जाता है।
– इसलिय जब गर्मी के दिनों में मिटटी फैलती है तो इस फैलाव का प्रभाव दीवालों पर पडऩे कि वजह से दीवालों में शीघ्र दरारें पद जाती है।
– ठण्ड के दिनों में जब काली मिटटी सिकुड़ती है तो भवन के निचे का भराव और निचे चला जाता है इसकी वजह से फ्लोरिंग निचे दब जाती है।
– इसलिए इन नियमों का विश्लेषण करने से ये समझ में आता है कि वास्तु शास्त्र के नियमों के निर्माण करते समय ऋशि मुनियों ने दैविक उर्जा के साथ ही साथ वैज्ञानिक तथ्यों का भी उपयोग किया होगा।