शौक था, जो जारी है
पेशे से आर्किटेक्ट विजय कुजूर बताते हैं कि पैरेंट्स गार्डनिंग करते थे। बचपन से ही हरियाली के इर्द-गिर्द रहने का मौका मिला। हमने एक कदम आगे बढ़कर बागवानी के साथ वेजिटेबल की शुरुआत की। गार्डनिंग का शौक था जो बढ़ते हुए सब्जियों तक पहुंच गया।
काफी देखभाल करनी होती है
इरिगेशन डिपार्टमेंट की इंजीनियर अजीता कुजूर कहती हैं कि गार्डनिंग इतनी आसान नहीं जितनी कही जाती है। खासतौर पर जब बात सब्जी लगाने की हो तो बहुत देखभाल करनी होती है। टाइम पर पानी देने अलावा बराबर नजर रखनी होती है कि कहीं कीड़े का असर तो नहीं। पत्तियों को छांटना भी होता है। इन सब चीजों के लिए फिक्स टाइम निकालना होता है।