महाराष्ट्र की तर्ज पर तैयार की योजना
अधिकारियों के अनुसार पूरी योजना पीपीपी मॉडल पर होगी। देश की बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनियों को इसके लिए आमंत्रित किया जाएगा। कुछ वर्ष पहले महाराष्ट्र में लागू इस सिस्टम को देखकर प्रदेश में शुरू करने की योजना बनाई थी। विभाग ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन के पास भेजा है। सबकुछ ठीक रहा तो 20२०-२१ वित्तीय वर्ष तक छत्तीसगढ़ के सभी 10 चेकपोस्ट इस सिस्टम से जुड़ जाएंगे। छत्तीसगढ़ में इसके संचालन के लिए आरटीओ को जिम्मेदारी दी गई है।
इस तरह काम करेगी पोर्टेबल वेइंग मशीन
आरटीओ की टीम जिन जिन स्थानों में अस्थाई चेकिंग प्वाइंट लगाएगी वहां पर पोर्टेबल वेइंग मशीन से ओवरलोड वाहनों की जांच की जा सकेगी। मुख्यमार्गों से बचकर निकलने वाले भारी वाहनों को की जांच पोर्टेबल वेइंग मशीन से की जाएगी। यह एक चटाई की तरह बिछा दिया जाएगा। इसे कंप्यूटर से कनेक्ट करके वजन मापा जाएगा।
हर पॉइंट पर लगेगा क ैमरा
जिन-जिन स्थानों पर डिजिटल वेइंग मशीनें लगेंगी वहां कैमरे भी लगाएं जाएंगे। इन कैमरों का कंट्रोल रायपुर में होगा। यानी राज्य के किसी भी चेकपोस्ट से कोई वाहन गुजरने पर उसे राजधानी में बैठे-बैठे देखा जा सकेगा।
शैलाभ साहू, उपायुक्त, परिवहन विभाग