मुंबई एयरपोर्ट में देखा था
सदर रोड स्थित शो रूम के सिद्धार्थ बैद ने बताया कि मुंबई एयरपोर्ट में वर्टिकल गार्डन देखा था जो अब रायपुर पहुंच चुका है। हमने जब शो रूम बनाया उसी वक्त सोच लिया था कि एक ग्रीन वॉल भी होनी चाहिए। इसका मकसद यही था कि एक मैसेज जाए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। चाह ग्राहक हों या राहगीर, जब वे इसे देखें तो उन्हें सुकून का अहसास हो और वे खुद भी इस तरह की पहल अपने स्तर पर करें।
तीन तरह के पौधे, कलर होता है चेंज
सिद्धार्थ ने बताया कि ग्रीन वॉल में तीन तरह के पौधे हैं जिन्हें सिस्टमेटिक तरीके से गमलों में लगाया गया है। इंटरनल पाइपलाइन है जिसमें सुबह और शाम 5 मिनट ऑटोमेटिक सिंचाई हो जाती है। पौधों की खासियत ये है कि वे रंग भी बदलते हैं। गर्मी बढऩे पर पत्तियां हल्की लाल रंग की हो जाती है।एनआईटी में बनी है गो ग्रीन कमेटी
एनआईटी के छात्र गो ग्रीन के जरिए धरती को हरी-भरी रखने की जुगत में हैं। इसकी शुरुआत वर्ष 2010 में प्रो. समीर वाजपेयी ने की थी। इन दिनों यह प्रभार प्रो. झरिया देख रहे हैं। कमेटी के एग्जिक्यूटिव मेंबर राज सिंह ने बताया कि महीने के दो या तीन शनिवार को हम प्लांटिंग करते हैं। इकोलॉजिकल कॉन्सेप्ट पर काम करते हैं। साल में एक बार ‘पुकार’ कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें ऐसे लोगों को बतौर स्पीकर बुलाते हैं जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर उल्लेखनीय कार्य किया है। समीर वाजपेयी, फाउंडर गो ग्रीन क्लब ने बताया कि गो ग्रीन के पीछे सोच यह थी कि ज्यादातर जो पर्यावरण को इंजीनियरिंग या तकनीक के कारण पहुंची है। तरक्की के साथ ही पर्यावरण पीछे छूटता गया। सुविधाएं बढ़ी लेकिन दोहन बड़े पैमाने पर होने लगा। जरूरी था कि भावी इंजीनियर जब कोई नई टेक्नोलॉजी लाएं तो उनके जेहन में यह बात रहे कि एनवायरमेंट को भी ध्यान रखें। इंजीनियर छात्रों का पर्यावरण के प्रति सरोकार हो इसलिए यह क्लब चालू किया गया। ये क्लब न केवल बच्चों को जागरूक करेगा बल्कि पर्यावरण की विभिन्न समस्याएं के समाधान तलाशने की प्रेरणा मिलेगी।