scriptसुपेबेड़ा में किडनी पीडि़तों ने शिविर में नहीं दिखाई रुचि | Victimele rinichilor nu au manifestat interes pentru tabra din Supebh | Patrika News

सुपेबेड़ा में किडनी पीडि़तों ने शिविर में नहीं दिखाई रुचि

locationरायपुरPublished: Nov 26, 2019 11:54:44 pm

Submitted by:

ashok trivedi

सुपेबेड़ा में किडनी पीडि़तों के ईलाज के लिए लगाए जाने वाले शिविर में किडनी पीडि़त ही इलाज को लेकर रुचि नहीं दिखा रहे है। 100 किडनी पीडि़तों में से सिर्फ 10 ने शिविर में कराया उपचार

सुपेबेड़ा में किडनी पीडि़तों ने शिविर में नहीं दिखाई रुचि

सुपेबेड़ा में किडनी पीडि़तों ने शिविर में नहीं दिखाई रुचि

देवभोग. सुपेबेड़ा में किडनी पीडि़तों के ईलाज के लिए लगाए जाने वाले शिविर में किडनी पीडि़त ही इलाज को लेकर रुचि नहीं दिखा रहे है। गांव में मंगलवार को एम्स के किडनी विशेषज्ञ डॉ. विनय राठौड़ अपनी टीम के साथ शिविर में इलाज करने के लिए पहुंचे। वहीं पूरे शिविर के दौरान मात्र 10 किडनी पीडि़तों ने ही अपना उपचार करवाया। स्थिति यह रही कि शिविर स्थल पूरी तरह से खाली-खाली नजर आया।
सुपेबेेड़ा के किडनी प्रभावित के सेहत को ध्यान में रखकर लगाए गए शिविर में किडनी पीडि़तों ने ही इलाज करवाने में रुचि नहीं दिखाई। हालांकि स्वास्थ्य शिविर में पहुंचे डॉक्टरों का दावा है कि शिविर में पहुंचे मरीजों ने जांच के दौरान संतुष्टि जाहिर की है। चिकित्सा संबंधी परामर्श लेकर भी मरीज काफी संतुष्ट नजर आए है। वहीं $िकडनी मरीजों द्वारा इलाज न करवाना शिविरों पर प्रश्नचिह्न भी खड़ा करता है
मंगलवार को गांव में लगे शिविर के दौरान कुल 48 मरीजों की जांच की गई। शिविर के दौरान प्रमुख रूप से स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एसके बिंदवार, सामुदायिक चिकित्सा विभाग से डॉ. अभिरुचि गल्होरता, सीएमओ डॉ. एचआर नवरत्न के साथ ही अन्य चिकित्सकगण प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
खानापूर्ति के लिए लगाया जाता है शिविर
गांव के लव कुमार नागेश का कहना हैं कि पिछले दो साल से गांव में कई बार शिविर लगाया जा चुका है। हमेशा दावा किया जाता है कि शिविर में आकर मरीज इलाज करवाएं उन्हें जल्द ही स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। शिविर में इलाज करवाने वाले मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिलने की बजाय उनका स्वास्थ्य दिन ब दिन और बिगड़ता चला जाता है। ऐसे में नाराज ग्रामीणों ने शिविर में इलाज नहीं करवाने का मन बना लिया है। पंच टिनीमिनी का कहना है कि शिविर से किसी तरह का कोई स्वास्थ्य लाभ आज तक ग्रामीणों को नहीं मिला है। शिविर में इलाज करवाने के लिए जाने के बाद भी संबंधित रोग की दवा उपलब्ध नहीं करवाई जाती। इसी के चलते ऐसे शिविरों से ग्रामीणों का भरोसा उठने लगा है। गांव में अब ऐसे शिविर लगाना बंद कर देना चाहिए।
एम्स में आएं तो बेहतर करेंगे इलाज
किडनी विशेषज्ञ डॉ. विनय ने शिविर के दौरान बताया कि मरीज अब इलाज को लेकर धीरे-धीरे रुचि लेने लगे हंै। मरीजों के साथ अब उनका संबंध भी स्थापित होने लगा है। उन्होंने कहा कि मरीजों को एम्स आना चाहिए, वहां उनका बेहतर इलाज करेंगे। किडनी विशेषज्ञ के मुताबिक एक कारण से किडनी की बीमारी उत्पन्न नहीं होती। कई तरह के कारण हो सकते है। उन्होंने कहा कि ब्लड प्रेशर और शुगर का कंट्रोल और ज्यादा पानी पीने की सलाह के साथ ही दर्द निवारक दवाइयां अपने मन से न ले या इंजेक्शन लगाने से बचने की सलाह भी दी गई है। वहीं आने वाले दिनों में इस सलाह का असर भी दिखेगा। गांव के त्रिलोचन का दावा हैं कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सुपेबेड़ा को लेकर गंभीर है। सरकार सुपेबेड़ा में इलाज को लेकर हर संभव कदम उठा रही है। इसके बाद भी लोगों का इलाज के प्रति उदासीन रवैया समझ से परे है, जबकि शिविर की जानकारी सभी ग्रामीणों को दी गई थी।
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