इन टेस्ट की रिपोर्ट को तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाना प्रारंभ में चुनौतीपूर्ण था। रिपोर्ट तैयार करने और इसे संबंधित स्वास्थ्य अधिकारी तक हर जिले में पहुंचाने में काफी समय लग रहा था। इस चुनौती के लिए एम्स के उप निदेशक, प्रशासन नीरेश शर्मा की पहल पर आईटी विभाग के प्रोग्रामर चंद्रभान प्रधान और वरुण पांडेय ने दो दिन तक रात-दिन कार्य करके एक ऐसा साफ्टवेयर तैयार किया जो अब एक ही क्लिक में सारी सूचनाएं उपलब्ध करा देता है। इस साफ्टवेयर में रोगियों का सारा विवरण तो उपलब्ध होता ही है उनका जिला और टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव है या नेगेटिव यह भी पता चल जाता है।
स्वास्थ्य सचिव के पास लॉगिन आईडी व पासवर्ड
साफ्टवेयर का लॉगिन आईडी और पासवर्ड बनाए गए हैं, जो एम्स प्रबंधन के साथ प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव को प्रदान किया गया है। अब तक लगभग तीन हजार टेस्ट का सारा डेटा इस साफ्टवेयर की मदद से सर्च किया जा सकता है। इस साफ्टवेयर के बाद अब रिपोर्ट के लिए कोई भी प्रक्रिया मैनुअल नहीं है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की भावना को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। नीरेश शर्मा ने बताया कि डेटा का उपयोग भविष्य में कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी अनुसंधान परियोजना के लिए भी किया जा सकेगा।
नर्सिंग कॉलेज की क्लासेज भी चल रही ऑनलाइन
लगातार लॉकडाउन के बीच नर्सिंग कालेज की बीएससी और एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रमों की कक्षाओं को संचालित करना भी चुनौतीपूर्ण बन गया था। इसके लिए नर्सिंग कॉलेज ने अब नई तकनीक की मदद से क्लासेज ऑनलाइन शुरू कर दी हैं, इसमें जूम की मदद से सभी छात्र शिक्षकों के साथ जुड़कर लेक्चर लेते हैं और उन्हें ऑनलाइन असाइनमेंट दिए जा रहे हैं। इसमें बीएससी के चार और एमएससी के 2 बैच निरंतर अध्ययन और अध्यापन कर रहे हैं।