रायपुर

कभी एक वक्त के भोजन के लिए तरसे, आज हवाई सफर कर छात्रों को मोटिवेट कर रहे छत्तीसगढिय़ा प्रोफेसर

महासमुंद के पिथौरा स्थित गांव के हैं डॉ सिन्हा, अपने टीचर भगवती प्रसाद वर्मा को मानते हैं गॉडफादर
 

रायपुरApr 22, 2019 / 01:31 pm

Tabir Hussain

कभी एक वक्त के भोजन के लिए तरसे, आज हवाई सफर कर छात्रों को मोटिवेट कर रहे छत्तीसगढिय़ा प्रोफेसर

ताबीर हुसैन @ रायपुर. उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत यानी उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुंच जाओ। स्वामी विवेकानंद का यह क्योट गहरे अर्थ लिए हुए है। जिसने इसे समझ लिया वह जरूर सफल होगा। कुछ ऐसी ही कहानी है डॉ. जी.आर. सिन्हा का। महासमुंद जिले के पिथौरा के पास एक छोटे से गांव में रहने वाले सिन्हा के पैरेंट्स मजदूरी करते थे। गरीबी इतनी थी कि कभी-कभी एक वक्त का खाना नहीं मिल पाता था लेकिन नन्हीं आंखों ने सपने बड़े देख रखे थे। सिन्हा की काबिलियत देख एक परिचित उन्हें रायपुर ले आए ओर स्वामी विवेकानंद आश्रम में दाखिला करवा दिया। यहां से सिन्हा का जीवन बदल चुका था। सिन्हा कहते हैं स्वामी विवेकानंद मेरे आइडल रहे हैं। उन्हीं आश्रम में रहकर मैंने एनआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अब म्यामार में शिक्षा दे रहा हूं। सिन्हा ने कहा कि मेरे टीचर भगवती प्रसाद वर्मा मेरे लिए गॉडफॉदर से कम नहीं। मैं अपने टीचर के बिना और स्वामीजी के आदर्शों के बिना शून्य हूं।

पढ़ाते हुए एमटेक किया
सिन्हा ने बताया कि वे एनआईटी में बीटेक करने के बाद कॉन्ट्रेक्ट बेस पर पढ़ाने लगे साथ ही एमटेक भी कर रहे थे। इसके बाद वे भिलाई पहुंच पढ़ाई कराने लगे। अगला कदम उनका हैदराबाद रहा लेकिन आगे की सोच लेकिन बैंगलुरू के ट्रिपलआईटी पहुंच गए। वहां से उन्हें म्यामार अपाइंट किया गया। वहां भारत और म्यामार के संयुक्त रूप से इंजीनियरिंग कॉलेज चलाया जा रहा है। पढ़ाई के मामले में हम बहुत ही आगे हैं। स्तर काफी ऊंचा है लेकिन वहां के बच्चों में पढ़ाई को लेकर जो ललक है वह काबिलेतारीफ है। वहां के एजुकेशन लेवल को बढ़ाने की जरूरत है और हम कर भी रहे हैं इसलिए वे हमें काफी सम्मान देते हैं।

ये है सक्सेस मंत्र
जीवन में हमेशा अच्छा और बड़ा उद्देश्य लेकर चलना चाहिए। यही बात मैंने आज यहां के बच्चों को समझाई। पैरेंट्स और गुरुओं का नाम रोशन करें। आगे बढऩे के लिए हॉर्ड वर्क का कोई ऑप्शन नहीं है। जबकि आज के समय में तो स्मार्ट वक चाहिए। लाइफ में हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने का जज्बा होना चाहिए। कभी ये न कहें कि मैं सब सीख चुका हूं मुझे सब आता है। अपने वैल्युस को स्ट्रांग रखिए। सफलता जरूर मिलेगी। एक बात और कहूंगा कि हमेशा सफलता के पीछे नहीं भागना है बल्कि सदैव अच्छा करना है। कोई ऐसा गोल हो कि उसे अचीव करने के लिए बेहतर तरीके से आगे बढ़ें और हमेशा सीखते रहने की सोचें।

टेक्निक का यूज पॉजिटिव हो
सोशल मीडिया का उपयोग हम स्किल डवलपमेंट में कर सकते हैं। यह आपको आगे लेकर जाएगा। सिर्फ हमारे राज्य ही नहीं बल्कि देश-दुनिया में अच्छा काम कर सकते हैं। मैं तो इन्हें आईसीटी टूल्स मानता हूं। अगर हमारा एटिट्यूड ही पॉजिटिव हो तो निगेटिविटी की ओर ध्यान ही नहीं जाएगा। कौन किसके बारे में क्या बोल रहा या लिख रहा इससे हमें मतलब नहीं होना चाहिए। कौन सी चीज से हमें बेनिफिट मिल सकता है या हमारा नॉलेज बढ़ सकता है यह मायने रखता है। यदि हम किसी के लेक्चर को सुनकर बेहतर लिखना सीख सकते हैं तो यह सकारात्मक असर है।

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