मोदी सरकार की अकर्मण्यता और मुनाफाखोरी वाली नीति के कारण देश की जनता महंगाई से परेशान हाल है। नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने का बाद से रोजमर्रा के सामानों की कीमत दोगुनी हो गई है। मोदी और उनकी सरकार की प्राथमिकता में गांव, गरीब, किसान, मजदूर और आम आदमी है ही नहीं। मोदी सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिए कभी कोई योजना नहीं बनाई। मोदी सरकार ने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए योजना बनाई और उसका क्रियान्वयन किया।
देश में बिकने वाली दालें और खाद्य तेल का 70 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ एक ही उद्योग का है। देश में उत्पादित कोयले का अधिकांश एकाधिकार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर अडानी का है। महंगाई बढऩे के जो 5 महत्वपूर्ण कारण है जो सीधे-सीधे मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन से बने हैं।
इसलिए बढ़ी महंगाई
आर्थिक कुप्रबंधन केंद्र सरकार का आर्थिक प्रबंधन महंगाई बढ़ाने का बड़ा कारण सिद्ध हुआ। असंगत करारोपण, एक्साइज टैक्स के कारण डीजल-पेट्रोल के दाम बड़े जो महंगाई को बढ़ाने में बड़ा कारण बना। निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली नीति के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हतोत्साहित हुई महंगाई बढ़ी। विदेश नीति की असफलता, मोदी सरकार पड़ोसी राज्यों से बेहतर तालमेल बनाने में असफल साबित हुई, जिसके कारण पड़ोसी राज्यों से आयात हो कर आने वाली महत्वपूर्ण सामाग्रियों के दाम बढ़े, महंगाई बढ़ी है।
इतिहास में आज तक इतना बड़ा आंदोलन नहीं हुआ, आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की मौत हुई है। काला कानून वापस लेकर यह साबित कर दिया कि मोदी सरकार ने 3 काला कानून बनाया था।