फस्र्ट इयर की स्टूडेंट परिणीति वायलिन में बनाएंगी कॅरियर
पचपेढ़ी नाका निवासी परिणीति इन दिनों हैदराबाद में हैं। म्यूजिक में डिप्लोमा कर रही हैं। यह छठवां साल है। वे कहती हैं कि मेरे दादा तबला बजाते हैं। पापा गाते हैं, हालांकि वे गवर्नमेंट जॉब में हैं। इस तरह संगीत का माहौल घर पर ही है। मुझे हिंदुस्तानी क्लासिकल में इंटरेस्ट था। पापा ने रोहन सर को वायलिन बजाते सुना तो उन्होंने मुझे इसे सीखने के लिए सजेस किया। जब मैंने बजाया तो मेरी रुचि बढ़ती गई। मैं अभी बीकॉम फस्र्ट इयर की पढ़ाई भी कर रही हूं, लेकिन कॅरियर वायलिन पर ही बनाऊंगी। मैंने रायपुर के अलावा वाराणसी, अहमदाबाद, बेंगलूरु में प्रस्तुति दी है।
शंकर महादेवन के साथ काम कर चुके हैं रोहन
के. रोहन नायडु देवेंद्र नगर में रहते हैं। वे राज्य के पहले ऐसे वायलिनिस्ट हैं जिन्हें बालश्री अवॉर्ड मिला है। 16 साल की कम उम्र में बालश्री अवॉर्ड मिलता ह,ै जबकि इससे अधिक उम्र पर पद्मश्री। वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया।
सीखते-सीखते ही बन गए टीचर, 20 वर्षों से दे रहे ट्रेनिंग
भारती बंधु परिवार से ताल्लुक रखने वाले अरविंद भारती 15 की उम्र से वायलिन बजा रहे हैं। उन्होंने बताया कि फैमिली में संगीत पहले से ही था, लेकिन मैंने मेलोडी को चुना। कमला देवी संगीत महाविद्यालय में जब संगीत सीख रहे थे, तब मध्यमा से ही वे टीचिंग करने लगे। वे कहते हैं मेरा सौभाग्य है कि मैं नई पीढ़ी को वायलिन सिखा रहा हूं। मुझे 20 वर्ष हो गए सिखाते हुए। वर्ष 2009 में खैरागढ़ संगीत विवि में गोल्ड मेडलिस्ट अरविंद ने शेखर सेन, डॉ. आरती सिंह, यास्मीन सिंह के साथ संगत करने के बाद आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी प्रस्तुति दी है।