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शाहरुख को देखकर वायलिन सीखने आते थे युवा, लेकिन अब नेचुरली बढ़ रहा है इंटरेस्ट

locationरायपुरPublished: Dec 13, 2018 06:47:42 pm

वे यह भी कहते हैं कि इस इंस्टुमेंट में काफी एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं लेकिन ट्रेडिशनल वायलिन में ही इसकी असली आत्मा रहती है।

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शाहरुख को देखकर वायलिन सीखने आते थे युवा, लेकिन अब नेचुरली बढ़ रहा है इंटरेस्ट

ताबीर हुसैन@रायपुर. संगीत की दुनिया बड़ी निराली है। यहां हर साज कुछ कहता है। संगीत के तार सीधे दिल से जुड़े होते हैं। म्यूजिक की तमाम विधाओं में वायलिन की अपनी एक जगह है। सिटी में 300 से ज्यादा युवा हैं जो इसकी तालीम हासिल कर रहे हैं। कई ऐसे हैं जो इस क्षेत्र में काफी आगे भी गए। आज वायलिन डे है। हमने वायलनिस्टों से बात की तो उनका साफ कहना था कि इसके बिना हमारी जिंदगी अधूरी है। वे यह भी कहते हैं कि इस इंस्टुमेंट में काफी एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं लेकिन ट्रेडिशनल वायलिन में ही इसकी असली आत्मा रहती है।

फस्र्ट इयर की स्टूडेंट परिणीति वायलिन में बनाएंगी कॅरियर
पचपेढ़ी नाका निवासी परिणीति इन दिनों हैदराबाद में हैं। म्यूजिक में डिप्लोमा कर रही हैं। यह छठवां साल है। वे कहती हैं कि मेरे दादा तबला बजाते हैं। पापा गाते हैं, हालांकि वे गवर्नमेंट जॉब में हैं। इस तरह संगीत का माहौल घर पर ही है। मुझे हिंदुस्तानी क्लासिकल में इंटरेस्ट था। पापा ने रोहन सर को वायलिन बजाते सुना तो उन्होंने मुझे इसे सीखने के लिए सजेस किया। जब मैंने बजाया तो मेरी रुचि बढ़ती गई। मैं अभी बीकॉम फस्र्ट इयर की पढ़ाई भी कर रही हूं, लेकिन कॅरियर वायलिन पर ही बनाऊंगी। मैंने रायपुर के अलावा वाराणसी, अहमदाबाद, बेंगलूरु में प्रस्तुति दी है।

शंकर महादेवन के साथ काम कर चुके हैं रोहन
के. रोहन नायडु देवेंद्र नगर में रहते हैं। वे राज्य के पहले ऐसे वायलिनिस्ट हैं जिन्हें बालश्री अवॉर्ड मिला है। 16 साल की कम उम्र में बालश्री अवॉर्ड मिलता ह,ै जबकि इससे अधिक उम्र पर पद्मश्री। वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया।

वे बताते हैं कि 10 साल की उम्र से वायलिन बजा रहे हैं। अब तक देश के कई शहरों के अलावा बांग्लादेश में भी परफॉर्म कर चुके हैं। खैरागढ़ संगीत विवि से म्यूजिक में पीएचडी भी कर रहे हैं। उन्होंने एक संगीत अकादमी भी खोली है जहां नई पौध को म्यूजिक की बारीकियां से रूबरू करा रहे हैं। रोहन ने मशहूर संगीतकार शंकर महादेवन के साथ सत्य साईं पर आधारित एक एल्बम पर काम किया है। इसके अलावा दो फिल्में द सन फ्लावर और मिस्टर मदर में अपना हुनर दिखाया है।

सीखते-सीखते ही बन गए टीचर, 20 वर्षों से दे रहे ट्रेनिंग
भारती बंधु परिवार से ताल्लुक रखने वाले अरविंद भारती 15 की उम्र से वायलिन बजा रहे हैं। उन्होंने बताया कि फैमिली में संगीत पहले से ही था, लेकिन मैंने मेलोडी को चुना। कमला देवी संगीत महाविद्यालय में जब संगीत सीख रहे थे, तब मध्यमा से ही वे टीचिंग करने लगे। वे कहते हैं मेरा सौभाग्य है कि मैं नई पीढ़ी को वायलिन सिखा रहा हूं। मुझे 20 वर्ष हो गए सिखाते हुए। वर्ष 2009 में खैरागढ़ संगीत विवि में गोल्ड मेडलिस्ट अरविंद ने शेखर सेन, डॉ. आरती सिंह, यास्मीन सिंह के साथ संगत करने के बाद आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी प्रस्तुति दी है।

उन्होंने राजिम कुंभ, राज्योत्सव, उज्जैन कुंभ और बस्तर दशहरा में भी परफॉर्म किया है। वे कहते हैं कि सिखाते हुए ज्यादा आनंद मिलता है। कुछ नया सीखने मिलता है। प्रोफेशनली आप अपने लिए बजाते हैं लेकिन मैं अगर चार बच्चे रेडी करता हूं तो इसका सुख बेशकीमती है। पहले नए बच्चे शाहरूख खान ( मोहब्बतें) को देखकर सीखने आया करते थे। लेकिन अब वे स्वतंत्र रूप से इंटरेस्ट ले रहे हैं।
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