रायपुर

विष्णुदेव साय ने सरपंच चुनाव से की थी राजनीतिक पारी की शुरुआत, प्रदेश अध्यक्ष बनते ही इन चुनौतियों से होगा सामना

छत्तीसगढ़ भाजपा (Chhattisgarh BJP) प्रदेश अध्यक्ष की तीसरी बार कमान संभाल रहे विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) को कई चुनौतियों का सामना करना होगा। साय के सामने सबसे बड़ी चुनौती मरवाही उपचुनाव होगी।

रायपुरJun 03, 2020 / 09:23 am

Ashish Gupta

रायपुर. छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की तीसरी बार कमान संभाल रहे विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) को कई चुनौतियों का सामना करना होगा। साय के सामने सबसे बड़ी चुनौती मरवाही उपचुनाव होगी। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से बाद यह सीट खाली हो गई है। बता दें कि राज्य गठन के बाद से मरवाही सीट पर जोगी परिवार का दबदबा रहा है।
इधर, भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही संगठन विस्तार का रास्ता भी खुल गया है। भाजपा के विपक्ष में रहने की वजह से माना जा रहा है कि संगठन में तेजतर्रार युवाओं को मौका दिया जाएगा। फिलहाल प्रदेश में करीब 11 जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। इसके साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी और मोर्चा प्रकोष्ठ का फिर से गठन होगा। सूत्रों की मानें तो अधिकांश मोर्चा प्रकोष्ठ में नए लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी। वहीं प्रदेश कार्यकारिणी में ज्यादा बदलाव की उम्मीद कम नजर आ रही है।
भाजपा में संगठन विस्तार की पिछले साल कवायद शुरू हुई थी। इसमें सिर्फ 17 जिलों में ही जिला अध्यक्षों का चुनाव हो सका। इस वजह से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टल गया था। इसके बाद कोरोना वायरस की वजह से मामला लगातार टलते जा रहा था। इस बीच शीर्ष नेतृत्व में मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की। ज्यादातर स्थानों में सांसद या फिर पूर्व सांसदों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस लिहाज से विष्णुदेव साय का नाम सबसे आगे चल रहा था।
साय की नियुक्ति पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि साय के नेतृत्व में पार्टी को नई पहचान मिलेगी और हम और मजबूत होंगे। उनकी सामाजिक और राजनीतिक जीवन के अनुभव का लाभ पार्टी को मिलेगा।

सरपंच से केंद्रीय राज्य मंत्री तक सफर
विष्णुदेव साय का जन्म 21 फरवरी 1964 को जयपुर जिले में कांसाबेल ब्लॉक की बगिया गांव में हुआ। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत सरपंच से की और 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे। वे 26 वर्ष की आयु में तब करा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे। से पहली बार 1999 में रायगढ़ से सांसद चुने गए थे।

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