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वृंदा ने पढ़ी प्राणवान पंक्तियां, मांगा मां वीणावादिनी से वरदान

locationरायपुरPublished: Jan 31, 2020 06:33:34 pm

Submitted by:

Yagya Singh Thakur

मुकेश गुप्त ने वसंत के साथ बदलती प्रकृति एवं प्राणियों की खुशी का इजहार किया। उन्होंने धरती करें श्रृंगार ऋतु वसंत आई, कोकिल करे मनुहार ऋतु वसंत आई, लोरी गाए पवन ऋतु वसंत आई, मन-मयूरा नाचे ऋतु वसंत आईÓÓ कविता का पाठ किया।

वृंदा ने पढ़ी प्राणवान पंक्तियां, मांगा मां वीणावादिनी से वरदान

वृंदा ने पढ़ी प्राणवान पंक्तियां, मांगा मां वीणावादिनी से वरदान

रायपुर द्य छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर गुरुवार को जैतूसाव मठ, पुरानी बस्ती में बसंत बहार काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वृंदा तांबे ने मां वीणापाणि से वरदान मांगते हुए ”मां शारदे तू ज्ञान दे, लेखनी में प्राण दे. कंठ को सुर-ताल दे, वाक-सिद्धि का वरदान दे।ÓÓ जैसी प्राणवान पंक्तियां पढ़ीं। मुकेश गुप्त ने वसंत के साथ बदलती प्रकृति एवं प्राणियों की खुशी का इजहार किया। उन्होंने धरती करें श्रृंगार ऋतु वसंत आई, कोकिल करे मनुहार ऋतु वसंत आई, लोरी गाए पवन ऋतु वसंत आई, मन-मयूरा नाचे ऋतु वसंत आईÓÓ कविता का पाठ किया। भूपेन्द्र कसार आजाद ने वसंत का गुणगान कुछ इस तरह किया-आया है ऋतुराज बसंत, कैसे मधुमास न होगा, काम-रति मिल जाये तो,कैसे उल्लास न होगा। डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने वीणापाणि के असीम स्वरूप को शब्दों की सीमा में बांधा- कर में वीणा है, सुशोभित, रूप सौन्दर्य है, मनमोहित। कार्यक्रम में कुमार जगदलवी, शिवानी मैत्रा, शिवा बाजपेई, मोहम्मद हुसैन, चन्द्रकला त्रिपाठी, अम्बर शुक्ला, आशा पाठक, गोपाल सोलंकी, रिकी बिंदास, यशवंत यदु, राजेश्वर गुप्ता, लतिका भावे, लक्ष्मी नारायण फरार आदि ने अपनी-अपनी रचनाएं पढ़ीं।
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