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शोध की गुणवत्ता बढ़ाओ, मनचाही जगह पोस्टिंग पाओ

locationरायपुरPublished: Jan 31, 2016 07:58:00 am

Submitted by:

Kamlesh Sharma

 अनचाहे तबादले से बचने के लिए कॉलेज आयुक्तालय ने शिक्षकों के सामने अनूठा ऑफर रखा है। शोध की गुणवत्ता बढ़ाने वाले शिक्षकों को अब उनकी पसंद के महाविद्यालय में नियुक्ति मिल सकेगी। 

 अनचाहे तबादले से बचने के लिए कॉलेज आयुक्तालय ने शिक्षकों के सामने अनूठा ऑफर रखा है। शोध की गुणवत्ता बढ़ाने वाले शिक्षकों को अब उनकी पसंद के महाविद्यालय में नियुक्ति मिल सकेगी। हालांकि तबादले के लिए दावा ठोकने वाले शिक्षकों को पहले गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरना पड़ेगा। 

राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद शोधकार्यों को प्रमुखता नहीं दी जा रही, जबकि सरकार इसके लिए विशेष अवकाश और प्रशिक्षण तक मुहैया करा रही है। नई तबादला नीति के ड्राफ्ट पर जब सरकार ने आपत्तियां मांगी तो पता चला कि अचानक होने वाले तबादले शोध की राह का सबसे बड़ा रोड़ा हैं। इससे शोध कार्य बीच में अटक जाता है। यदि शिक्षक इसे जारी रखना चाहते हैं तो उन्हें नए महाविद्यालय में दोबारा संसाधन जुटाने पड़ते हैं। कॉलेज आयुक्तालय ने नई तबादला नीति में इसका अनूठा समाधान खोजा है। सरकार अब शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शोध कराओ और मनचाही जगह पोस्टिंग पाओ का खास ऑफर देगी। इसके बाद शोध पूरा होने तक शिक्षक मनचाहे महाविद्यालय में रुक सकेंगे। 

गुणवत्ता की कसौटी 
कॉलेज आयुक्तालय ने व्याख्याताओं, उपाचार्यों और प्राचार्यों से सभी विषयों के दस प्रमुख राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय शोध पत्रों की सूची मांगी है। प्रदेश के सभी महाविद्यालयों से सूची मिलने के बाद विषयवार दस प्रमुख शोध पत्रिकाओं का चुनाव किया जाएगा। शोध की गुणवत्ता साबित करने के लिए शिक्षकों को इनमें अपने शोध पत्र प्रकाशित कराने होंगे। इस आधार पर उनके मनचाहे तबादले का दावा स्वीकार किया जाएगा।

क्यों पड़ी जरूरत
महाविद्यालयों में शैक्षणिक माहौल सुधारने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शोध कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दे रहा है। सरकारी अनुदान की पात्रता जांचने के लिए नैक मूल्यांकन में भी अब संसाधनों से ज्यादा शोध की स्थिति परखी जा रही है। 

 वहीं रूसा के तहत गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य कराने वाले संस्थानों को नॉलेज सेंटर का दर्जा देकर करोड़ों रुपए का अनुदान जारी किया जा रहा है, लेकिन शोध की हालत खस्ता होने से प्रदेश के महाविद्यालय इस मौके का फायदा उठाने में असफल साबित हो रहे हैं। इसके चलते सरकार को अपनी नीतियों पर नए सिरे से मंथन कर उनमें सुधार करना पड़ रहा है। 





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