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हमें कोरोना के साथ जीना ही होगा… क्योंकि अभी दूसरा कोई विकल्प नहीं

locationरायपुरPublished: May 29, 2020 08:02:26 pm

लॉकडाउन-4 में तेजी से बढ़ी मरीजों की संख्या

हमें कोरोना के साथ जीना ही होगा... क्योंकि अभी दूसरा कोई विकल्प नहीं

हमें कोरोना के साथ जीना ही होगा… क्योंकि अभी दूसरा कोई विकल्प नहीं

प्रशांत गुप्ता @ रायपुर . विदेश, देश और प्रदेश में जिस गति से कोरोना बढ़ रहा है यह मान लेना चाहिए कि अब हम सबको कोरोना के साथ जीना सीख लेना चाहिए…। क्योंकि यह वायरस कब तक अपना कहर बरपाएगा, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता। ऐसे में सावधानी ही इससे सबसे बड़ा बचाव है। छत्तीसगढ़ ने कोरोना की दस्तक के पहले ही इसके विकराल होते रूप को भांप लिया था। फरवरी से ही एहतियातन कदम उठाने शुरू कर दिए थे।
अस्पतालों में इलाज की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। विदेश से आने वालों की एयरपोर्ट पर निगरानी शुरू कर दी गई थी। सीमाएं पर सख्ती से जांच भी की जा रही थी। इसी बीच 18 मार्च को छत्तीसगढ़ ने दस्तक दे दी। रायपुर समता कॉलोनी निवासी युवती संक्रमित पाई गई, फिर क्या था विदेश से संक्रमित निकलना शुरू हो गए। यह शुरुआत थी, तब वायरस विदेश से लौटने वाले यात्रियों के जरिए आ रहा था, मगर आज श्रमिकों के जरिए…। यह तो तय था कि कोरोना पैर पसारेगा। यह 19 जिलों में पहुंच चुका है।
किसकी क्या जिम्मेदारी

शासन-प्रशासन- छत्तीसगढ़ के लोग जो बाहर फंसे हुए हैं, उनकी सकुशल वापसी करवाई जाए। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की पहचान हो, उसे क्वारंटाइन/होम क्वारंटाइन किया जाए। प्रदेश में कोरोना का व्यापक-प्रचार हो।
स्वास्थ्य विभाग- बाहर से आने वाले सभी व्यक्तियों की रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर जांच हो। लक्षण वाले मरीजों के सैंपल लेकर उन्हें क्वारंटाइन या फिर आईसोलेट करे। प्रदेश में सैंपल जांच के लिए लैब में पर्याप्त साधन-संसाधन मुहैया करवाए करवाए।
पुलिस विभाग— प्रदेश की सीमाओं में दाखिल होने वाले लोगों की पहचान हो। जो चोरी-छिपे आ रहे हैं, स्वास्थ्य टीम को बुलवाकर उनकी जांच करवाई करवाएं। शांति व्यवस्था बनाए रखें। शासन-प्रशासन के नियम-निर्देशों का पालन करवाएं।
आपकी हमारी ये है जिम्मेदारी— सरकार के सभी नियम-निर्देशों का पालन करें। जैसे- मॉस्क अनिवार्य रूप से लगाएं। सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें। आवश्यक हो तो ही घरों से बाहर निकलें और बाजार जाएं। हाथ सेनिटाइजर से धोएं।
अस्पताल प्रबंधन और मरीज के लिए सुझाव

अगर आप किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं तो डॉक्टरी सलाह लें। कोशिश करें कि डॉक्टर से फोन पर बात करें। अगर, फोन, वीडियो कॉल या अन्य माध्यम से बात संभव है तो करें। अस्पताल प्रबंधन को टेलीमेडिसीन, टेली कंसलटेंसी जैसी सुविधाएं शुरू करनी चाहिए।
लंबे समय तक लॉकडाउन रहने की वजह से मानसिक तनाव स्वाभाविक है। ऐसे में पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में आने वाली मुश्किलों को हल करें।
(- जैसा एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट के कॉडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया)
एम्स रायपुर के अधीक्षक डॉ. करन पिपरे ने बताया कि याद रखिए डरना मना है। बंदिशों के साथ कोरोना का डर छोड़कर सहज भाव से जीना सीखना होगा, उसमें भी अनुशासन जरूरी है। व्यस्त रहने के नए तरीके ढूंढने होंगे।
स्वास्थ्य सेवाएं के संचालक नीरज बंसोड़ ने बताया कि मरीज बढ़ेंगें, क्योंकि सैंपलिंग बढ़ गई है। मगर, घबराने की आवश्यकता नहीं है। आज इस घड़ी में हर किसी को अपनी जिम्मेदारी निभाने की आवश्यकता है। क्योंकि हम और आप घर से बाहर निकल रहे हैं तो हम और आप ही संक्रमित होंगे अगर सावधानी नहीं बरती।
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