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रायपुर

छत्तीसगढ़ में मौसम का कहर, 65 लाख हेक्टेयर की सब्जी बर्बाद

65 लाख हेक्टेयर से अधिक में सब्जियों का उत्पादन प्रभावित, फसल के चटकने का खतरा बढ़ा

रायपुरFeb 15, 2018 / 06:03 pm

Anupam Rajvaidya

crops

मौसम ने एक बार फिर अपनी कुदृष्टि डाली और पूरे क्षेत्र में फिर ओलावृष्टि हुई, जिसने फसल बरबाद कर किसानों की कमर ही तोड़ दी।

रायपुर . बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने छत्तीसगढ़ में किसानों की सालभर की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। सूखे के बाद भी किसानों को जहां फसल से मुनाफे की उम्मीद थी, लेकिन तीन दिनों से बिगड़े मौसम ने किसानों की फसल और सब्जियों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। जिन किसानों ने बैंक से कर्ज लेकर फसल लगाई थी, वे फसल बर्बाद होने से पूरी तरह निराश हो गए हैं। मौसम का सबसे ज्यादा कहर सब्जियों की फसल गिरा है।
प्रदेश में सब्जियों का रकबा 65 लाख हेक्टेयर से अधिक है। इसका ज्यादातर उत्पादन प्रभावित होगा। सबसे ज्यादा क्षति रायपुर और दुर्ग संभाग में हुई है। इसकी भरपाई के लिए सरकार मुआवजे का मलहम लगाने की तैयारी कर रही है, तो विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस ने नुकसान के आकलन के लिए 10 सदस्यीय समिति गठित की है। वहीं, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने किसानों के कर्ज माफी और मुआवजे की मांग की है। एेसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।
किसानों के मुताबिक कवर्धा जिले में हुई ओलावृष्टि से चने की 85 हजार हेक्टेयर रकबे की फसल को नुकसान पहुंचा है। दुर्ग और बेमेतरा जिले में 23 हजार हेक्टेयर रकबे की चने की फसल बर्बाद हो गई है। यहां चना, मसूर, धनिया, केला और पपीता की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। अंबिकापुर, जांजगीर-चांपा क्षेत्र में खुले में रखे धान भीग गए हैं। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मौसम बदलने से फसल और सब्जियों में कीटों का प्रकोप बढ़ जाएगा।


यह हुआ नुकसान
– मौसम के चलते अभी टमाटर व अन्य सब्जियों की आवक तेज हो जाएगी। इससे सब्जियां अभी सस्ती होंगी, लेकिन इसे आगे के उत्पादन पर असर होगा। जिसके चलते सब्जियों के दाम बढ़ जाएंगे।
– फसल कम होने से आने वाले दिनों में चना, मटर, तिवड़ा, राई-सरसो, अलसी, गेहूं के मूल्य में बढ़ोतरी हो सकती है।
– मौसम के बादला का सीधा असर आम, पपीता और केला की पैदावार पर भी पड़ेगा। आंधी-तूफान की वजह से आम के बौर झड़ गए हैं। केले के पौधे फल समेत गिर गए हैं। पपीता का भी यही हाल है।


किसान को यह सुझाव
– खेतों में पानी जमा नहीं होने से और निकासी की पर्याप्त व्यवस्था करें।
-फसल को जल्दी सुखाने की व्यवस्था करें।
– सब्जियों को पानी नहीं दें।
– मौसम खुलने के बाद आवश्यकतानुसार दवाओं का छिड़काव करें।


नुकसान आकलन के लिए कांग्रेस की कमेटी
कवर्धा और बेमेतरा जिले में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल को हुए नुकसान के आकलन के लिए कांग्रेस ने १० सदस्यीय समिति गठित की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कमेटी को क्षेत्र का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।


कर्ज माफ करें : जोगी
जिनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सुप्रीमो व पूर्व सीएम अजीत जोगी ने कहा कि किसानों के नुकसानों को देखते हुए सरकार मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर कर्ज माफी की घोषणा करें। साथ ही अधिकारियों को निर्देश दें कि नुकसान का आकलन खेत के आधार पर किया जाए, ताकि वास्तविक नुकसान का आकलन हो सके।


कृषि वैज्ञानिकों का कहना है…
कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर के अनुसार मौसम खुलने के बाद ही किसानों को राहत मिल सकती है। बारिश की वजह से चना, तिवरा, मटर, धनिया, मैथी की फसल को ज्यादा नुकसान होगा। फसल चटखने का खतरा भी बढ़ जाएगा। इस पानी से गेहूं की फसल को थोड़ा फायदा होगा, लेकिन ओलावृष्टि वाले क्षेत्र में फसल सोने से किसानों को नुकसान होगा। वहीं, कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर का कहना है कि कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। सब्जियां और खड़ी फसल खराब हो गई है। इस मौसम की मार कर्ज लेकर खेती-किसानी करने वालों को ज्यादा होगी।


कृषि मंत्री बोले, देंगे मुआवजा
पानी और ओलावृष्टि से जहां किसानों की फसल-सब्जियों को नुकसान हुआ है, वहां राजस्व पुस्तिका परिपत्र के तहत मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लिया है, उन्हें बीमा कंपनी की तरफ से भी मुआवजा मिलेगा।
बृजमोहन अग्रवाल , कृषि मंत्री, छत्तीसगढ़

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