जब पुलिस साइबर ठगों को पकडऩे के लिए जांच करती है, तो मोबाइल लोकेशन दूसरे राज्य को मिलता है और जिस खाते में ठगी की राशि ट्रांसफर हुआ और निकला है, वह अलग राज्य का निकलता है। ऐसे में समस्या यह हो जाती है कि फोन करने वाले ठग को पकड़ा जाय या जिसने राशि निकला है, उसे पकड़ा जाए। ऑनलाइन ठगी के अधिकांश मामले इसी तरह के सामने आ रहे हैं। इसी कारण आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है और न ही पीडि़तों का पैसा आसानी से मिल रहा है।
20 से ज्यादा ठगी
जनवरी और फरवरी 2022 में अलग-अलग थानों में ऑनलाइन ठगी के 20 से ज्यादा अपराध दर्ज हो चुके हैं। इनमें ठगों की गिरफ्तारी नहीं हुई और न ही पीडि़तों की रकम वापस मिल पाई है। इसकी बड़ी वजह ठगी की शिकायत देरी से होना भी है।
बढ़ता जा रहा है ग्राफ
ऑनलाइन ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2021 में ऑनलाइन ठगी की 1043 शिकायतें मिलीं। इसके अलावा पोर्टल में 1340 शिकायतें दर्ज हुई थीं। कुल 2383 ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आए थे। इसके अलावा पुलिस ने 64 लाख रुपए से ज्यादा ठगी का पैसा लोगों को वापस कराया था।
फरवरी में पुरानी बस्ती इलाके के टीकम से कारोबार के नाम पर करीब 12 लाख की ऑनलाइन ठगी हो गई। मामले की जांच के दौरान पता चला कि साइबर ठगों ने जिस मोबाइल नंबर से पीडि़त से संपर्क किया था, उसका लोकेशन बिहार का पटना था और गुडग़ांव में एटीएम से पैसा निकाला गया।
सरोना निवासी डॉक्टर सुरेंद्र को जनवरी 2022 में फेसबुक के जरिए साइबर ठगों ने 3 लाख रुपए से ज्यादा ठग लिया। इसमें ठगों का मोबाइल लोकेशन दिल्ली बता रहा था, लेकिन डॉक्टर से ठगी गई राशि असम से निकाली गई थी। ठगों का कोई साथी असम से आहरण कर रहा था।
जनवरी में टिकरापारा इलाके के कारोबारी शेखर जैन से बीएसएफ के जवान बनकर साइबर ठगों ने 4 लाख 83 हजार रुपए से अधिक की ऑनलाइन ठगी कर ली। इसमें साइबर ठग हरियाणा के मेवात इलाके से फोन कर रहे थे और कारोबारी से ठगा पैसा यूपी से निकाल रहा था।
ऑनलाइन ठगी के मामलों के लिए साइबर सेल की टीम लगातार प्रयास करती है। अधिकांश मामले पुलिस तक देरी से पहुंचते हैं। ठगी करने वालों की तलाश में पुलिस की टीमें लगी हैं। साइबर ठगी से बचने के लिए आम लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
- प्रशांत अग्रवाल, एसएसपी, रायपुर