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क्या है पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE)? जानिए COVID-19 के इलाज में क्‍यों है ये जरूरी?

locationरायपुरPublished: Apr 09, 2020 11:28:14 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

कोरोना वायरस के संक्रमण से स्वास्थ्य कर्मियों के बचाव के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर को 2,000 पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) किट मिल गई है।

रायपुर. कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण से स्वास्थ्य कर्मियों के बचाव के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS Raipur) रायपुर को 2,000 पीपीई (Personal Protective Equipment) किट मिल गई है। एम्स प्रबंधन ने केंद्र सरकार से 10 हजार किट की मांग की थी, जिसमें से दो हजार किट पहुंच चुकी है। एम्स में रोजाना करीब 100 किट का इस्तेमाल होता है।
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट (PPE Kit) उपलब्ध है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, टेक्निशियन और मेडिकल स्टाफ को सिर से पांव तक संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती है।
पीपीई किट में ग्लब्स, मेडिकल मास्क, गाउन, रेस्पिरेटर और शू कवर और गर्दन तक को ढकने वाली टोपी आदि सामान होते हैं। एक पीपीई किट का इस्तेमाल एक शिफ्ट के बाद दूसरी बार नहीं होता है।
पीपीई किट पहनने वाले के लिए जितना सुरक्षित है, उतना ही उसे बाहर से छूने वालों के लिए खतरनाक होता है, क्योंकि संक्रमित स्थल पर काम करने के दौरान कोरोना वायरस इस सुरक्षा ड्रेस के ऊपर चिपक जाते हैं। इसलिए पीपीई किट को पहनने से अधिक इसे उतारने में सावधानी बरतनी पड़ती है।
एम्स रायपुर के अधीक्षक डॉ करन पीपरे ने बताया, एम्स में पर्याप्त मात्रा में उपकरण, दवाएं व अन्य सामग्री उपलब्ध है। इस समय 4 हजार से अधिक किट प्रबंधन के पास उपलब्ध है, जो एक साथ 500 मरीजों के आने पर भी पर्याप्त है।

तुरंत करना पड़ता है नष्ट
एम्स के डॉक्टर अजय बेहरा ने बताया कि किट से संक्रमण न फैले इसलिए डॉक्टर या स्टाफ उतारते ही इसे सैनेटाइज किया जाता है। फिर, उसे दोहरी पॉलिथीन में रखकर जला दिया जाता है। उन्होंने बताया कि डाक्टर और स्टाफ के किट पहनने और उतारने का भी प्रोटोकॉल है। किट को कैसे पहनना है और उतारना है, इसका भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

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