अंतरराज्यीय नदी जल विवाद कानून के तहत न्यायाधिकरण गठित
अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून-1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश इन्हें सुप्रीम कोर्ट अथवा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों में से मनोनीत करेंगे। इसके अलावा जलसंसाधन विशेषज्ञ दो आकलनकर्ताओं की सेवाएं न्यायाधिकरण की कार्यवाही में सलाह देने के लिए प्रदान की जाएंगी। इन आकलनकर्ताओं को जल सम्बंधी संवेदनशील मुद्दों को निपटाने का अनुभव होगा।
तीन वर्ष के भीतर सौंपनी होगी रिपोर्ट
आईएसआरडब्ल्यूडी कानून-1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट और फैसले तीन वर्ष की अवधि के भीतर देने होंगे। इसे अपरिहार्य कारणों से दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
यह करेगा न्यायाधिकरण
न्यायाधिकरण सम्पूर्ण महानदी बेसिन में पानी की सम्पूर्ण उपलब्धता, प्रत्येक राज्य के योगदान, प्रत्येक राज्य में जलसंसाधनों के वर्तमान उपयोग और भविष्य के विकास की संभावना के आधार पर जलाशय वाले राज्यों के बीच पानी का बंटवारा निर्धारित करेगा। उम्मीद है कि न्यायाधिकरण द्वारा विवाद के न्यायिक निपटारे के साथ ही महानदी पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच लंबित विवाद का अंतिम निपटारा हो सकेगा।