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छत्तीसगढ़ और ओडिशा में किस बात पर है विवाद, केंद्र सरकार ने क्यों बनाया ट्रिब्यूनल

locationरायपुरPublished: Feb 20, 2018 08:14:23 pm

Submitted by:

Anupam Rajvaidya

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ओडिशा के अनुरोध पर महानदी जल विवाद-अंतरराज्यीय नदी विवाद कानून-1956 के अंतर्गत न्यायाधिकरण के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

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अनुपम राजीव राजवैद्य/रायपुर. महानदी को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच ऐसा क्या हुआ कि केंद्र सरकार को न्यायाधिकरण का गठन करना पड़ा। एनजीटी के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह दोनों राज्यों के बीच चल रहे इस विवाद को निपटारे के लिए न्यायाधिकरण का गठन करे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महानदी जल विवाद के न्यायिक निपटारे के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विदित हो कि महानदी के जल को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच लम्बे समय से विवाद चल रहा है। ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ अपने इलाके में महानदी पर बैराज बनाकर पूरा पानी रोक ले रहा है। इससे ओडिशा को पानी नहीं मिल पा रहा है। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने पिछले साल इसे लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को पत्र भी लिखा था। बाद में उन्होंने महानदी जल विवाद के निपटारे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था।

अंतरराज्यीय नदी जल विवाद कानून के तहत न्यायाधिकरण गठित
अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून-1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश इन्हें सुप्रीम कोर्ट अथवा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों में से मनोनीत करेंगे। इसके अलावा जलसंसाधन विशेषज्ञ दो आकलनकर्ताओं की सेवाएं न्यायाधिकरण की कार्यवाही में सलाह देने के लिए प्रदान की जाएंगी। इन आकलनकर्ताओं को जल सम्बंधी संवेदनशील मुद्दों को निपटाने का अनुभव होगा।

तीन वर्ष के भीतर सौंपनी होगी रिपोर्ट
आईएसआरडब्ल्यूडी कानून-1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट और फैसले तीन वर्ष की अवधि के भीतर देने होंगे। इसे अपरिहार्य कारणों से दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

यह करेगा न्यायाधिकरण
न्यायाधिकरण सम्पूर्ण महानदी बेसिन में पानी की सम्पूर्ण उपलब्धता, प्रत्येक राज्य के योगदान, प्रत्येक राज्य में जलसंसाधनों के वर्तमान उपयोग और भविष्य के विकास की संभावना के आधार पर जलाशय वाले राज्यों के बीच पानी का बंटवारा निर्धारित करेगा। उम्मीद है कि न्यायाधिकरण द्वारा विवाद के न्यायिक निपटारे के साथ ही महानदी पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच लंबित विवाद का अंतिम निपटारा हो सकेगा।

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