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– केस 1 – ऑक्सीजन की कमी के चलते इंतकाल हुआ-
– केस 1 – ऑक्सीजन की कमी के चलते इंतकाल हुआ-
मेरे ससुर जुल्फकार अली, निवासी पंडरी रायपुर (57 वर्ष) कचहरी में अर्जी-नबीज थे। अप्रैल में जब महामारी फैली हुई थी, तभी उनकी तबीयत बिगड़ी। सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए कई जगह भागदौड़ की। ऐसा कोई अस्पताल नहीं था जहां संपर्क नहीं किया, या हम गए न हों। मगर, सबने उन्हें भर्ती लेने से इंनकार कर दिया। यही कहा कि ऑक्सीजन वाला बेड खाली नहीं है। अब घर पर ही उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर ऑक्सीजन दी गई। मगर, ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में न मिलने की वजह से उनकी जान चली गई। काश! अस्पताल में भर्ती करते और ऑक्सीजन मिलती तो जान बच भी सकती थी। सरकारें चाहें जो भी कहें, ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की जानें गई हैं।
(- जैसा मृतक के दामाद उमैद खान ने बताया।)
(- जैसा मृतक के दामाद उमैद खान ने बताया।)
केस 2 – ऑक्सीजन के लिए करनी पड़ी मशक्कत–
मां सुशीला वर्मा (56 वर्षीय) ग्राम मुसुवाडीह (पलारी) की सरपंच हैं। जिससे उनका लोगों से मिलना-जुलना लगा रहता हैं। वे कोरोना के चलते हमेशा मास्क लगाए रखती हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करती हैं। सबको कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के लिए जागरूक भी किया करती हैं। मार्च के अंत में मां की अचानक तबीयत बिगडऩे लगी। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा तो राजधानी के करीब 8-10 बड़ों अस्पतालों में भर्ती कराने का प्रयास किया, मगर कहीं ऑक्सीजन बेड नहीं होने की बात कहकर भर्ती करने से मना कर दिया गया, कहा ऑक्सीजनयुक्त बेड नहीं है। सरकारी अस्पतालों से भी लौटा दिया गया। काफी मशक्कत के बाद एक निजी अस्पताल ने मां को भर्ती किया गया, जहां पर ऑक्सीजन उपलब्ध था। अस्पताल में 10 दिन रहने के बाद मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
(जैसा सुशीला वर्मा के बेटे आशीष वर्मा ने बताया।)
मां सुशीला वर्मा (56 वर्षीय) ग्राम मुसुवाडीह (पलारी) की सरपंच हैं। जिससे उनका लोगों से मिलना-जुलना लगा रहता हैं। वे कोरोना के चलते हमेशा मास्क लगाए रखती हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करती हैं। सबको कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के लिए जागरूक भी किया करती हैं। मार्च के अंत में मां की अचानक तबीयत बिगडऩे लगी। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा तो राजधानी के करीब 8-10 बड़ों अस्पतालों में भर्ती कराने का प्रयास किया, मगर कहीं ऑक्सीजन बेड नहीं होने की बात कहकर भर्ती करने से मना कर दिया गया, कहा ऑक्सीजनयुक्त बेड नहीं है। सरकारी अस्पतालों से भी लौटा दिया गया। काफी मशक्कत के बाद एक निजी अस्पताल ने मां को भर्ती किया गया, जहां पर ऑक्सीजन उपलब्ध था। अस्पताल में 10 दिन रहने के बाद मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
(जैसा सुशीला वर्मा के बेटे आशीष वर्मा ने बताया।)