scriptगेहूं की कीमतों में प्रति क्विंटल 500 तक का उछाल, निर्यात रूकने से मिली थोड़ी राहत | Wheat price rises by 500, relief from stoppage of exports | Patrika News

गेहूं की कीमतों में प्रति क्विंटल 500 तक का उछाल, निर्यात रूकने से मिली थोड़ी राहत

locationरायपुरPublished: May 26, 2022 12:15:31 pm

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Rahul Jain

– कीमत बढऩे की बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध और बेमौसम बारिश भी
– गेहूं के लिए छत्तीसगढ़ अभी भी मध्यप्रदेश पर ज्यादा निर्भर

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फिर महंगा हुआ गेहूं

रायपुर. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस बार गेहूं की कीमतों में प्रति क्विंटल 500 रुपए तक का उछाल आया है। छत्तीसगढ़ में 2200 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला गेहूं 2500 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल में बिक रहा है। अनाज कारोबारियों के मुताबिक यदि भारत सरकार गेहूं के निर्यात पर रोक नहीं लगती, तो इसकी कीमतें और ज्यादा बढ़ जाती है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं से जुड़े उत्पादक जैसे ब्रेड, बििस्कट की कीमतें भी बढ़ेंगी। दरअसल, रूस और यूक्रेन गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। युद्ध की वजह से ही इसकी सप्लाई प्रभावित हुई है। यही वजह है कि एक्सपोर्टरों ने किसानों को ज्यादा कीमत देकर गेहूं की खरीदी की। इस वजह से भी गेहूं महंगा हुआ है। वहीं बेमौसम बारिश की वजह से भी फसलों को थोड़ा नुकसान हुआ है।
तीन सालों में गेहूं का उत्पादन बड़ा, लेकिन ‘न्यायÓ नहीं

छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों गेहूं का रकबा एक लाख से बढ़कर हुआ सवा दो लाख हेक्टेयर हो गया है। इस साल पौने तीन लाख हेक्टेयर गेहूं की खेती हुई थी। सिर्फ चार जिलों राजनांदगांव, कबीरधाम, बेमेतरा, दुर्ग क्षेत्र में देखें तो, गेहूं की खेती का रकबा तीन सालों में तीन गुना बढ़ गया है। इन सब के बावजूद गेहूं उत्पादक किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ नहीं मिलता है। अधिकारियों का कहना है कि गेहूं रबी की फसल है और राज्य सरकार खरीफ की फसलों में राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ दे रही है। इससे रबी की फसल लेने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि राजीव गांधी किसान न्याय योजन के तहत खरीफ की लगभग सभी फसलों में इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। वहीं धान के बदले अन्य फसल देने पर यह सब्सिडी बड़ जाती है। इसी सब्सिडी की वजह से प्रदेश में धान की कीमत 2500 प्रति क्विंटल से अधिक हो जाती है।
इस बार किसानों को मिली अच्छी कीमत

छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश की तर्ज पर गेहूं की सरकारी खरीदी नहीं होती है। यहां गेहूं की पैदावार अपेक्षाकृत कम है, लेकिन इस बार जिन किसानों ने अपने खेत में गेहूं बोया था, उन्हें उसकी अच्छी कीमत मिली है। किसान नेता राजकुमार गुप्त कहते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यह अनुमान पहले ही लग गया था कि दुनियाभर में इसे लेकर संकट हो सकता है। इसका फायदा उठाते हुए एक्सपोर्टरों ने इस बार सीधे किसानों से संपर्क किया और न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक कीमत देकर गेहूं खरीदी है। वर्तमान में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल हैं, लेकिन किसानों को 2100 से 2200 रुपए प्रति क्विंटल मिला है।
वर्जन

गेहूं की कीमतें हर साल नहीं बढ़ती है। इस बार 500 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ी है। युद्ध और खराब मौसम इसका बड़ा कारण है। यदि अभी गेहूं का निर्यात होते रहता तो इसकी कीमत और बढ़ जाती।
पूरनलाल अग्रवाल, अनाज कारोबारी और चेम्बर के पूर्व संरक्षक

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