दरअसल ये उलझन भरी शहर की मुख्य सड़कें फूलचौक-तात्यापारा, नहरपारा-स्टेशन रोड और पीली बिल्डिंग फाफाडीह-कृषि उपज मंडी रोड है। जिसका अधिकांश हिस्सा चौड़ीकरण तो हुआ परंतु मुहाने पर ऐसा फंसा कि आज तक एक समान चौड़ीकरण की सुविधा शहर के लोगों को मिली नहीं। इसकी बड़ी वजह नगर सरकार कांग्रेस की बनती रही तो राज्य में 15 सालों तक भाजपा की सरकार रही। परंतु शहर के लोगों की सुविधाओं वाला पेंच उलझा ही रहा। सुलझा नहीं। जब 2019 में एक ही दल की दोनों जगह सरकार बनी तो लोगों में उम्मीदें जगी कि अब वाटरनेक सड़कों का रोड़ा हट ही जाएगी, परंतु अभी तक ऐसा हुआ नहीं।
एक जैसी दिक्कतें, सबसे बड़ा मुआवजा का पेंच फूलचौक-तात्यापारा : शहर की सबसे व्यस्ततम जीई रोड। आजाद चौक से तात्यापारा और फूलचौक से तेलीबांधा तक चौड़ीकरण हुआ। परंतु 500 मीटर का फूलचौक-तात्यापारा चौक के बीच का दायरा पहले जैसा ही सकरा है। यहीं पर आवाजाही मुश्किल होती है। क्योंकि पूरा मामला मुआवजा को लेकर फंसा है। इस बार निगम के बजट में इस दायरे के चौड़ीकरण के लिए प्राथमिकता से शामिल किया गया। परंतु उसमें तेजी आई नहीं।
नहरपारा-स्टेशन : जेल रोड के देंवेंद्रनगर चौक से रेलवे स्टेशन तरफ की सड़क करोड़ों रुपए की लागत से नहरपारा तक बन चुकी हैं, परंतु 350 मीटर का दायरा पार करना पहाड़ पार करने जैसा है। इस जगह पर सुबह से शाम तक ट्रैफिक जाम। जबकि स्टेशन जाने का सबसे अच्छी कनेक्टिविटी वाली रोड है। परंतु मुहाना मुआवजे के पेंच में फंस कर रह गया है। जबकि इस दायरे का चौड़ीकरण कराने के लिए 7करोड़ रुपए स्वीकृत है।
फाफाडीह-मंडी रोड : फाफाडीह बिलासपुर रोड की बाइपास कृषि मंडी रोड का केवल 50 मीटर का मुहाना जी का जंजाल बना हुआ है। 10 करोड़ की लागत से सड़क का चौड़ीकरण हुआ,परंतु मुहाने से निकलना मुश्किल होता है। जबकि इसी रास्ते से छोटे वाहनों के अलावा एफसीआई का गोदाम से ट्रक निकलते हैं। केवल 15 दुकानें दायरे में आ रही हैं, प्रभावित एफएआर में राजी नहीं हुए, मुआवजा मांग रहे हैं।
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मुआवजा की वजह से ही सबसे बड़ी दिक्कतें आ रही हैं। फूलचौक-तात्यापारा चौड़ीकरण निगम के बजट में शामिल है। राशि स्वीकृति का प्रस्ताव शासन को भेजा चुका है। ये काम जरूर होगा। नहरपारा रोड के चौड़ीकरण भी मुआवजा के पेंच में ही उलझा है, इसके लिए प्रयास जारी है।
ज्ञानेश शर्मा, अध्यक्ष लोककर्म विभाग निगम