script‘जब भी हो तनाव तो अपनों से शेयर करें फीलिंग्स, मिलेगा रिलेक्सेशन | Whenever there is tension, share your experiences with your loved ones | Patrika News

‘जब भी हो तनाव तो अपनों से शेयर करें फीलिंग्स, मिलेगा रिलेक्सेशन

locationरायपुरPublished: Jan 24, 2020 07:00:00 pm

Submitted by:

Yagya Singh Thakur

यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह समस्या धीरे-धीरे काफी बड़ी हो सकती है। इसी तरह का मानसिक तनाव भी होता है। लोग जब डिप्रेशन का शिकार हों या उन्हें मानसिक तनाव महसूस हो तो उन्हें चाहिए कि वह एक अच्छे मनोरोग चिकित्सक की सलाह लें

'जब भी हो तनाव तो अपनों से शेयर करें फीलिंग्स, मिलेगा रिलेक्सेशन

‘जब भी हो तनाव तो अपनों से शेयर करें फीलिंग्स, मिलेगा रिलेक्सेशन

रायपुर . एनआईटी में मानसिक तनाव को लेकर दो दिवासीय कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला के पहले दिन एनआईटी की काउंसलर और वैल्यू एजुकेशन टीचर डॉ. हिना चावड़ा मानसिक तनाव के प्रकार और उनके समाधान को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि जिस तरह मशीन में कोई समस्या आती है या फिर कोई बीमार पड़ता है तो मैकैनिक और डॉक्टर को दिखाना पड़ता है।
यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह समस्या धीरे-धीरे काफी बड़ी हो सकती है। इसी तरह का मानसिक तनाव भी होता है। लोग जब डिप्रेशन का शिकार हों या उन्हें मानसिक तनाव महसूस हो तो उन्हें चाहिए कि वह एक अच्छे मनोरोग चिकित्सक की सलाह लें। छात्रों में बढ़ते सुसाइड केस को लेकर उन्होंने कहा कि अक्सर यह पढऩे को मिलता है कि छात्र ने फेल होने या फिर कम नंबर आने से सुसाइड कर लिया। ऐसा बिल्कुल नहीं है।
दरअसल, छात्र केवल उसी कारण से सुसाइड जैसा कदम नहीं उठाता है, बल्कि वह काफी पहले से किसी तनाव को झेल रहा होता है और उसी अवसाद के दौरान उसे जब यह नया तनाव होता है तो उसके मन में सुसाइड जैसी बात आती है और वह ऐसा कदम उठाता है। इसलिए माता-पिता को चाहिए वह अपने बच्चों पर ध्यान दें कि कहीं वह अकेले रहने का आदी तो नहीं हो गया। उन्हें उसके साथ खुलकर बात करनी चाहिए, जिससे बच्चा अपने मन की बात उनसे शेयर करे और उसका तनाव बढऩे की जगह कम हो जाए। संस्थान के डायरेक्टर डॉ. एएम रवानी ने जब तक जीवन है तब तक संघर्ष है और जब तक संघर्ष है, तब तक जीवन है। विषय पर अपनी बात रखी। डॉ. समीर बाजपाई ने वैल्यू एजुकेशन पर अपनी बात रखी। उन्होंने छात्रों से कहा कि व्यक्ति और समाज की गरिमा के लिए सम्मान विकसित करना, देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रसार, सोच और जीने का लोकतांत्रिक तरीका विकसित करना ही तनावमुक्त जीवन जीने में कारगर साबित होता है। कार्यशाला के अंतिम सत्र में डॉ. अजित वरवंडकर ने हैप्पीनेस इन लाइफ विषय पर विस्तार से चर्चा की। इस मौके बड़ी संख्या में एनआईटी के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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