इसलिए फिल्म बनाना तय किया
मैं जांजगीर गया और वहां कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला से मिला । मैंने उनकी सहमति से मोबाइल का रिकॉर्डर ऑन कर किया। उनसे पूरी कहानी सुनी। इसमें एक बात थी जो मेरे जेहन को क्लिक कर रही थी। बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे नींद से बहुत प्यार है। मैं सारे काम समय पर निपटाकर बॉयोलॉजिकल टाइम पर सोना पसंद करता हूं ताकि अगले दिन जल्दी उठकर पूरी एनर्जी से काम करूं। जब राहुल की घटना हुई तो मैं पूरे ऑपरेशन चलते तक सोया नहीं। इसलिए नहीं कि मेरी ड्यूटी है बल्कि इसलिए कि हर हाल में बच्चे की जिंदगी प्यारी थी। मुझे नींद ही नहीं आती थी। जूनियर अफसरों के कहने पर गाड़ी पर ही झपकी लेता रहा। शुक्लाजी की इस बात से मैं हैरत में था। इससे अंदाजा हो गया था कि इस ऑपरेशन में राहुल के अलावा कई जिंदगी थी जिसमें कई रंग शामिल थे। टनल खोदने वाले प्रिंस को बचाने गए थे वही लोग बिना बुलाए राहुल को बचाने आ गए। उनका भी अलग जुनून था। ऐसी कई बातें मुझे पता चली जो फिल्म निर्माण के लिए पर्याप्त थी। मैं मौके पर भी गया।स्क्रीन प्ले पर काम शुरू
वर्मा कहते हैं जब कहानी क्लियर हो तो स्क्रीन प्ले लिखने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा। स्टार कास्ट पर विचार चल रहा है। राहुल के किरदार की तलाश शुरू हो गई है। छालीवुड के बैकबोन माने जाने वाले सतीश जैन ने मनोज वर्मा को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मनोज के लिए यह अच्छी स्टोरी है। वह कंटेंट बेस्ड फिल्म में बहुत अच्छे से कर लेते हैं। मेरी शुभकामनाएं मनोज के साथ है।