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क्या धुन सवार हुई कि हजारों किमी साइकिल से चलने लगा ये शख्स, जानिए

locationरायपुरPublished: Mar 25, 2018 01:42:08 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

16 राज्य और 24 हजार किमी के बाद रायपुर में यात्रा और मिशन के अनुभव को राकेश सिंह ने साझा किया

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ताबीर हुसैन @ रायपुर . पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। ये लाइनें सुनी और बोली तो खूब जाती हैं लेकिन राकेश पर एकदम फिट बैठती हैं। एेसा ही एक सपना राकेश कुमार सिंह ने चार साल पहले देखा था, जिसे नाम दिया ‘राइड फॉर जेंडर फ्रीडम’। राकेश की ये लड़ाई जेंडर बेस्ड वॉएलेंस यानी कि उस हिंसा के खिलाफ है जिसे हम ***** भेद कहते हैं और यह आजादी सिर्फ स्त्री या सिर्फ पुरूष के लिए नहीं है, बल्कि उस तीसरे जेंडर के लिए भी है, जिसे अंग्रेजी में ट्रांसजेंडर कहा जाता है। हालांकि अधिकतर वजहें महिलाओं से जुड़ी हुई हैं। बिहार के रहने वाले राकेश ने 15 मार्च 2014 से एक शहर से दूसरे शहर एक राज्य से दूसरे राज्य अपनी साइकिल से यात्रा कर रहे हैं। अब तक राकेश छग को मिलाकर 1७ राज्यों को कवर करते हुए 24 हजार किमी की यात्रा कर चुके हैं। शुक्रवार को वे भिलाई में रहे और शनिवार शाम राजधानी पहुंचे। आगे वे झारखंड जाएंगे। इनकी प्लानिंग में किसी भी राज्य के 40 प्रतिशत जिले में पहुंचना होता है। शुक्रवार को वे भिलाई में रहे और शनिवार रात राजधानी पहुंचे हैं। इसी साल वे गृह प्रदेश बिहार में यात्रा का समापन करेंगे।

प्रोजेक्टर रखते हैं साथ

राकेश रोजाना 65 से 70 किमी साइकिल चलाते हैं। लोगों को एकत्र कर चाय दुकान, होटल, चौक-चौराहों पर सभा करते हैं। इसमें वे महिलाओं के महत्व के साथ उनके अधिकारों पर जागरूक भी करते हैं। वीडियो प्रोजेक्टर से जेंडर समानता पर बनी शॉर्ट मूवी दिखाते हैं।
मिले समानता का अधिकार : वे स्कूल-कॉलेज, गली-मोहल्लों में जाकर व्याख्यान देते हैं। वे बताते हैं कि अच्छा-बुरा करने वाला कोई बाहर का नहीं। बेटियों पर भरोसा तो किया जाना चाहिए इससे ज्यादा जरूरी है बेटों को आदर्शवान बनाएं। अगर बेटियों के मोबाइल की निगरानी हो तो बेटों के भी चेक किए जाएं।

इसलिए चलाया मिशन
राकेश बताते हैं कि वर्ष 2013 में एक दोस्त से मुलाकात हुई जो एसिड अटैक पर डॉक्युमेंट्री फिल्म बना रहे थे। इस दौरान वे तीन महीने से ज्यादा समय तक एसिड अटैक प्रभावितों के साथ रहे। इस दौरान उन्होंने पाया कि ज्यादातर मामले एेसे थे जिसमें एकतरफा प्यार के चलते हमले किए गए थे। बस यहीं से दिमाग कौंधा कि यदि लोगों को समझाया जाए तो मामले कम होंगे।

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