प्रोजेक्टर रखते हैं साथ
राकेश रोजाना 65 से 70 किमी साइकिल चलाते हैं। लोगों को एकत्र कर चाय दुकान, होटल, चौक-चौराहों पर सभा करते हैं। इसमें वे महिलाओं के महत्व के साथ उनके अधिकारों पर जागरूक भी करते हैं। वीडियो प्रोजेक्टर से जेंडर समानता पर बनी शॉर्ट मूवी दिखाते हैं।मिले समानता का अधिकार : वे स्कूल-कॉलेज, गली-मोहल्लों में जाकर व्याख्यान देते हैं। वे बताते हैं कि अच्छा-बुरा करने वाला कोई बाहर का नहीं। बेटियों पर भरोसा तो किया जाना चाहिए इससे ज्यादा जरूरी है बेटों को आदर्शवान बनाएं। अगर बेटियों के मोबाइल की निगरानी हो तो बेटों के भी चेक किए जाएं।
इसलिए चलाया मिशन
राकेश बताते हैं कि वर्ष 2013 में एक दोस्त से मुलाकात हुई जो एसिड अटैक पर डॉक्युमेंट्री फिल्म बना रहे थे। इस दौरान वे तीन महीने से ज्यादा समय तक एसिड अटैक प्रभावितों के साथ रहे। इस दौरान उन्होंने पाया कि ज्यादातर मामले एेसे थे जिसमें एकतरफा प्यार के चलते हमले किए गए थे। बस यहीं से दिमाग कौंधा कि यदि लोगों को समझाया जाए तो मामले कम होंगे।