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जान के लिए खतरा: निजी अस्पताल गंभीर स्थिति में कोरोना संक्रमित मरीजों को बगैर सूचना के कर रहे रेफर

locationरायपुरPublished: Aug 09, 2020 05:09:23 pm

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CG Desk

– 87 मरीजों की मौत, जिनमें 70 प्रतिशत दूसरी बीमारियों से थे पीड़ित- स्वास्थ्य विभाग ने जारी की गाइड-लाइन, रेफर आखिरी विकल्प हो, तब डॉक्टर साथ हो

covid-19

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रायपुर. प्रदेश में कोरोना से मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मगर, इनमें दूसरी बीमारियों से पीडि़त होने पर इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती होने के बाद कोरोना संक्रमित होने और फिर मौत होने या सरकारी अस्पताल में रेफर करने के बाद मौत होने के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। निजी अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों को गंभीर स्थिति में बगैर सूचना के एम्स या फिर डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल या अन्य मेडिकल कॉलेजों में रेफर कर दे रहे हैं। यानी मरणाशन स्थिति में। अंत में मरीज दमतोड़ दे रहा है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग को संक्रमित मरीजों के रेफर किए जाने की गाइड-लाइन जारी करनी पड़ी है।
‘पत्रिका’ ने 3 जून को प्रमुखता के साथ मुद्दा उठाया था कि ‘नॉन कोविड अस्पतालों से नॉन कोविड अस्पतालों में मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज, गंभीर स्थिति में हो रहे रेफर, गवां रहे जान’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया। अपनी रिपोर्ट में पाया कि निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को गंभीर स्थिति में रेफर करना, मरीजों की जान के लिए खतरा साबित हो रहा है। यह उचित नहीं है। अस्पतालों को कोरोना मरीजों के डेडिकेटेड कोविड आईसीयू/वेंटीलेटर की व्यवस्था रखनी ही होगी। संक्रमित मरीज का इलाज करना होगा। इससे मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया हो सकता है। हम कोरोना के साथ अन्य बीमारी से ग्रसित मरीजों की जान बचा सकते हैं।
अगर रेफर करना मरीज की जान बचाने के लिए आवश्यक हो तो, इन स्थितियों में-

– मरीज को शिफ्ट करते समय उनके साथ डॉक्टर हो, जो जहां मरीज रेफर किया जा रहा है उस संस्था के डॉक्टर को मरीज को सौंपकर जाए।
– मरीज के स्वास्थय की नाजुक स्थिति के दृष्टिगत मरीजों को बिल्कुल रेफर न किया जाए, यदि किया जा रहा है तो संबंधित संस्था के नोडल अधिकारी की सहमति आवश्यक है।
– अगर, मरीज को रेफर किया जा रहा है तो हॉस्पिटल रिपोर्टिंग सिस्टम में इसे दर्ज करें।
नॉन कोविड अस्पतालों में अगर कोई मरीज इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित होता है, तो उसका इलाज उसी अस्पताल में किया जाएगा। इससे संबंधित गाइड-लाइन जारी कर दी गई है।
नीरज बंसोड़, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं
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