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जिंदगी की शुरुआत है इम्तिहान, अंत नहीं इसलिए टेंशन छोड़ डेडिकेशन के साथ करें पढ़ाई

locationरायपुरPublished: Mar 09, 2020 02:30:15 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

पत्रिका समूह के 65वें स्थापना दिवस और स्वर्णिम भारत अभियान पर शहर की इन हस्तियों परीक्षार्थियों को किया मोटिवेट
 

जिंदगी की शुरुआत है इम्तिहान, अंत नहीं इसलिए टेंशन छोड़ डेडिकेशन के साथ करें पढ़ाई

आईपीएस, आईएफएस, आईएएस समेत शिक्षाविदों ने रखी बात।

ताबीर हुसैन @ रायपुर। इन दिनों सीबीएसई और सीजी बोर्ड के एग्जाम चल रहे हैं। परीक्षा के माहौल में तनाव स्वाभाविक है लेकिन इससे सिवाय नुकसान के कुछ हासिल नहीं होता। पत्रिका समूह के 65वें स्थापना दिवस और स्वर्णिम भारत अभियान में शहर की कुछ हस्तियों ने परीक्षार्थियों को मोटिवेट करते हुए कूल माइंड से पढ़ाई करने के लिए कहा। साथ ही पैरेंट्स से भी अपील करते हुए उन्हें बच्चों पर गैरजरूरी तनाव क्रिएट नहीं करने की सलाह दी। सभी ने अपनी पढ़ाई के दौर को याद किया और बताया कि पेपर के वक्त एक अनचाहा प्रेशर रहता है लेकिन अगर आप टाइम मैनेजमेंट और खुद पर यकीन करें तो पर्चे अच्छे जाएंगे, लिहाजा सारे टेंशन छोड़ डेडिकेशन के साथ पढ़ाई करें, मनचाहे मार्क्स मिलेंगे।

ये कोई आखिरी एग्जाम नहीं
प्रदीप गुप्ता, आईजी

परीक्षाएं तनाव का कारण होती है। जरूरी नहीं कि हम जिस सरलता से कहें कि स्ट्रेस न लें उसे परीक्षार्थी भी एक्सेप्ट करे। मैं स्ट्रेस को जरूरी मानता हूं किसी भी एग्जाम में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए लेकिन इतनी चिंता भी किसी काम की नहीं जो आपको दिमागी संतुलन और एकाग्रता को भंग कर दे। अब चूंकि कोई परीक्षा यदि निर्णायक है जिससे आपका कॅरियर टिका हो तो एक हद तक टेंशन लाजिमी है लेकिन यह कोई आखिरी परीक्षा तो नहीं। अब आपके पास इतना वक्त भी नहीं कि सालभर की पढ़ाई को कुछ दिन या चंद घंटों में समेट लें, बेहतर यही है कि जितना पढ़ा उसे प्रॉपर तरीके से रिवीजन करें। सबसे जरूरी है कि हर चीज कूल माइंड से हो न कि नतीजों की परवाह करते हुए।
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एक्स्ट्रा बर्डन लेने का वक्त नहीं
श्यामसुंदर गुप्ता, डीआरएम रायपुर

परीक्षाएं चल रही हैं, अब आपके पास जरा भी वक्त नहीं कि एक्सट्रा बर्डन लें। जो पढ़ा उसका रिवीजन ही एकमात्र रास्ता है। इस रास्ते पर चलकर अपना बेस्ट दें। रिवीजन भी नोट्स का किया जाना चाहिए। इतना टाइम भी नहीं कि बुक को रिवाइज कर पाएं और ये मुनासिब वक्त भी नहीं। नोट्स कॉन्सेप्ट पढ़ाई का सबसे बेहतर ऑप्शन रहा है। पढ़ाई के दौरान पर्याप्त रेस्ट लेना चाहिए, इसके बिना परफॉर्मेंस गड़बड़ाएगी। पैरेंट्स यह ध्यान रखें बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न बनाएं बल्कि फ्रेंडली माहौल रखें।
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समय चिंताओं का नहीं
नवेद शुजाद्दीन, आईएफएस

चूंकि एग्जाम शुरू हो चुके हैं। अब वक्त चिंता का नहीं बल्कि ठंडे दिमाग से सिर्फ जरूरी चीजों को पढऩे का है। हालांकि पेपर के वक्त थोड़ा स्ट्रेस जरूरी भी है, इससे आप पूरी तरह फोकस्ड होते हैं। उतना ही लें जितना लेना चाहिए। ज्यादा तनाव लेंगे तो परफॉर्मेंस डाउन हो जाएगा। अभी से रैंक या परसेंट की फिक्र करना भी सही नहीं है। जो टाइम बचा है उसमें क्या बेस्ट किया जा सकता है वही करें। कुछ दिनों के लिए टीवी, मोबाइल और इंटरनेट से दूरी बनाए रखें, हालांकि स्टडी के हिसाब से इनका यूज कतई बुरा नहीं है। स्मार्ट स्टडी में इनकी अहम भूमिका होती है। खाना वक्त पर खाएं और नींद पूरी लें। बे्रन एक्टिव रहे इसके लिए तंदुरुस्ती भी जरूरी है। जीवन में परीक्षाएं महत्वपूर्ण है लेकिन फ्यूचर एक एग्जाम पर नहीं टिका होता। लाइफ तो अपॉर्चुनिटी का खजाना है। बेहतर यही है कि आप नतीजे खासतौर पर निगेटिविटी पर न सोचें।
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गैप में रिलेक्स होकर करें रिवीजन

सीए सीपी भाटिया, एक्स चेयरमैन सीए ब्रांच रायपुर

अब तक जो भी आपने पढ़ा, रिलेक्स होकर गैप में उसे रिवीजन करें। कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए अपने फ्रेंड सर्किल में किसी को भी कॉल करें। उससे अपने दो टॉपिक पर डिस्कस करें। आपका फ्रेंड भी इसी तरह किसी दो टॉपिक पर चर्चा करेगा। इस तरह आप दोनों के चार टॉपिक का रिवीजन हो जाएगा। परीक्षा के एक दिन पहले जब आप बुक उठाते होंगे तो लगता होगा कि मुझे कुछ भी याद नहीं है। गैप के दौरान आप कैलेंडर के पीछे छोटे-छोटे नोट्स बना लें, जिससे कि बुक कवर हो जाए। पेपर देने के एक दिन पहले इसी नोट्स को जब आप पढ़ेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे पूरे टॉपिक को पढ़ लिया।
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जरूरत से ज्यादा फिक्र सही नहीं

डॉ जवाहर सूरीसेट्टी, शिक्षाविद्
एग्जाम में अगर कुछ हासिल होता है तो जरूर तनाव लीजिए लेकिन परीक्षा मजा किरकिरा करने और परफॉर्मेंस बिगाडऩे के लिए स्ट्रेस ले रहे हैं तो खुद सोच लीजिए कि यह कितना फायदेमंद है। ज्यादा टेंशन लेने से माइंड का संतुलन बिगड़ेगा, जिससे पेपर का खराब जाना भी स्वाभाविक है। एक हद तक फिक्र जरूरी है जिससे आप पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित होते हैं लेकिन जरूरत से ज्यादा चिंता आपके प्रदर्शन को प्रभावित करेगी। कुछ चीजें जिसे ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि एग्जाम हॉल में जाकर दूसरों की बातें न सुनें, उनसे खुद को मत आंकिए कि अपन कमजोर हैं। वे बोलते हैं लेकिन कर नहीं पाएंगे और नुकसान तो आपका हो चुका होगा। दूसरी बात ये कि जिस समय आप परीक्षा हॉल में जाएंगे, तब तक पता होना चाहिए आप कहां बैठते हैं। हॉल टिकट रखा कि नहीं। ये छोटी मगर मोटी बाते हैं। जिस तरह ज्यादा खाने से बदहजमी होती है ठीक वैसे ही बहुत ज्यादा पढऩा भी माइंड के लिए अच्छा नहीं। पढ़ाई के बीच म्यूजिक सुनना या दोस्तों से बात करना चाहिए।
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एक अवसर की तरह स्वीकार करें

डॉ रिया तिवारी, असि. प्रोफेसर रविवि

यह मूल्यांकन सीमित वस्तुओं के लिए है न कि पूरे जीवन का। इसे एक अवसर की तरह स्वीकार करें। जिसमें आपको कुछ कर दिखाना है। बिना किसी डर के अपनी क्षमताओं को बाहर लाना है। खुद पर भरोसा रखें। घर और परीक्षा हॉल में टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। घर में यह कि किस सब्जेक्ट को कब और कितना पढऩा है। एग्जाम हॉल में यह कि आप उत्तर लिखते वक्त ध्यान रखें कि सभी प्रश्न हल करने हैं, कोई भी छूटे न। लिखने, पढऩे या याद करने में कोई दिक्कत हो रही है तो पैरेंट्स से शेयर करें, क्योंकि वे भी उस दौर से गुजरे होते हैं। उनके अनुभव का लाभ आपको मिलेगा। अपने टीचर से भी पूछ सकते हैं। पढ़ाई के दौरान मनोरंजन भी जरूरी है। सोशल मीडिया वाला एंटरटेनमेंट नहीं बल्कि माइंड को फ्रेश करने वाला। इसके लिए आप संगीत सुन सकते हैं या दोस्तों से बात कर सकते हैं।
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अपनी क्षमताओं को जानें

महादेव कावरे, पोस्ट डायरेक्टर, ट्रेजरी, ज्वाइन सेक्रेटरी माइनिंग

हर किसी की अपनी क्षमता होती है। कोई लगातार 6 घंटे पढ़ सकता है तो कोई 2 से 3 घंटे। ऐसे में बात सिर्फ टाइमिंग तक नहीं बल्कि उस ड्यूरेशन में आप कितने फोकस्ड होते हैं यह मायने रखता है। हो सकता है कि कोई 10 घंटे पढ़कर वह चीज माइंड में बिठा नहीं पाया जो आप एक घंटे में पढ़कर कर सकते हैं। इन दिनों रात में जागकर पढ़ाई करने का सिलसिला चल निकला है। याद रखिए प्रकृति के मुताबिक चलेंगे तो फायदे भी वैसे मिलेंगे। सुबह की पढ़ाई का कोई तोड़ नहीं है। दूसरी बात ये कि स्ट्रेस जरूर लें लेकिन पॉजिटिव। तनाव के बिना तो पढ़ाई संभव नहीं है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों का ख्याल रखें न कि अच्छे मॉक्र्स की उम्मीद भरी नजरों से देखें।
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