ये कोई आखिरी एग्जाम नहीं
प्रदीप गुप्ता, आईजी
एक्स्ट्रा बर्डन लेने का वक्त नहीं
श्यामसुंदर गुप्ता, डीआरएम रायपुर
समय चिंताओं का नहीं
नवेद शुजाद्दीन, आईएफएस
गैप में रिलेक्स होकर करें रिवीजन
सीए सीपी भाटिया, एक्स चेयरमैन सीए ब्रांच रायपुर अब तक जो भी आपने पढ़ा, रिलेक्स होकर गैप में उसे रिवीजन करें। कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए अपने फ्रेंड सर्किल में किसी को भी कॉल करें। उससे अपने दो टॉपिक पर डिस्कस करें। आपका फ्रेंड भी इसी तरह किसी दो टॉपिक पर चर्चा करेगा। इस तरह आप दोनों के चार टॉपिक का रिवीजन हो जाएगा। परीक्षा के एक दिन पहले जब आप बुक उठाते होंगे तो लगता होगा कि मुझे कुछ भी याद नहीं है। गैप के दौरान आप कैलेंडर के पीछे छोटे-छोटे नोट्स बना लें, जिससे कि बुक कवर हो जाए। पेपर देने के एक दिन पहले इसी नोट्स को जब आप पढ़ेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे पूरे टॉपिक को पढ़ लिया।जरूरत से ज्यादा फिक्र सही नहीं
डॉ जवाहर सूरीसेट्टी, शिक्षाविद्एग्जाम में अगर कुछ हासिल होता है तो जरूर तनाव लीजिए लेकिन परीक्षा मजा किरकिरा करने और परफॉर्मेंस बिगाडऩे के लिए स्ट्रेस ले रहे हैं तो खुद सोच लीजिए कि यह कितना फायदेमंद है। ज्यादा टेंशन लेने से माइंड का संतुलन बिगड़ेगा, जिससे पेपर का खराब जाना भी स्वाभाविक है। एक हद तक फिक्र जरूरी है जिससे आप पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित होते हैं लेकिन जरूरत से ज्यादा चिंता आपके प्रदर्शन को प्रभावित करेगी। कुछ चीजें जिसे ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि एग्जाम हॉल में जाकर दूसरों की बातें न सुनें, उनसे खुद को मत आंकिए कि अपन कमजोर हैं। वे बोलते हैं लेकिन कर नहीं पाएंगे और नुकसान तो आपका हो चुका होगा। दूसरी बात ये कि जिस समय आप परीक्षा हॉल में जाएंगे, तब तक पता होना चाहिए आप कहां बैठते हैं। हॉल टिकट रखा कि नहीं। ये छोटी मगर मोटी बाते हैं। जिस तरह ज्यादा खाने से बदहजमी होती है ठीक वैसे ही बहुत ज्यादा पढऩा भी माइंड के लिए अच्छा नहीं। पढ़ाई के बीच म्यूजिक सुनना या दोस्तों से बात करना चाहिए।
एक अवसर की तरह स्वीकार करें
डॉ रिया तिवारी, असि. प्रोफेसर रविवि यह मूल्यांकन सीमित वस्तुओं के लिए है न कि पूरे जीवन का। इसे एक अवसर की तरह स्वीकार करें। जिसमें आपको कुछ कर दिखाना है। बिना किसी डर के अपनी क्षमताओं को बाहर लाना है। खुद पर भरोसा रखें। घर और परीक्षा हॉल में टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। घर में यह कि किस सब्जेक्ट को कब और कितना पढऩा है। एग्जाम हॉल में यह कि आप उत्तर लिखते वक्त ध्यान रखें कि सभी प्रश्न हल करने हैं, कोई भी छूटे न। लिखने, पढऩे या याद करने में कोई दिक्कत हो रही है तो पैरेंट्स से शेयर करें, क्योंकि वे भी उस दौर से गुजरे होते हैं। उनके अनुभव का लाभ आपको मिलेगा। अपने टीचर से भी पूछ सकते हैं। पढ़ाई के दौरान मनोरंजन भी जरूरी है। सोशल मीडिया वाला एंटरटेनमेंट नहीं बल्कि माइंड को फ्रेश करने वाला। इसके लिए आप संगीत सुन सकते हैं या दोस्तों से बात कर सकते हैं।अपनी क्षमताओं को जानें
महादेव कावरे, पोस्ट डायरेक्टर, ट्रेजरी, ज्वाइन सेक्रेटरी माइनिंग हर किसी की अपनी क्षमता होती है। कोई लगातार 6 घंटे पढ़ सकता है तो कोई 2 से 3 घंटे। ऐसे में बात सिर्फ टाइमिंग तक नहीं बल्कि उस ड्यूरेशन में आप कितने फोकस्ड होते हैं यह मायने रखता है। हो सकता है कि कोई 10 घंटे पढ़कर वह चीज माइंड में बिठा नहीं पाया जो आप एक घंटे में पढ़कर कर सकते हैं। इन दिनों रात में जागकर पढ़ाई करने का सिलसिला चल निकला है। याद रखिए प्रकृति के मुताबिक चलेंगे तो फायदे भी वैसे मिलेंगे। सुबह की पढ़ाई का कोई तोड़ नहीं है। दूसरी बात ये कि स्ट्रेस जरूर लें लेकिन पॉजिटिव। तनाव के बिना तो पढ़ाई संभव नहीं है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों का ख्याल रखें न कि अच्छे मॉक्र्स की उम्मीद भरी नजरों से देखें।