पपीता बदल रहा किस्मत, बस्तर की आदिवासी महिलाएं कमा रही लाखों
पहले गांव में काम नहीं होने से तीरथगढ़ की महिलाएं रोजी रोटी के लिए बाहर काम करने जाती थी। घर बैठे रोजगार मिलने से आज इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है। अब वे घर के साथ-साथ बाहर की जिम्मेदारी भी सही तरीके से संभाल रही है। आर्थिक तंगी दूर होने से महिलाओं की जीवन शैली में भी बदलाव आया है।
रायपुर
Published: May 10, 2022 10:06:42 pm
जगदलपुर | तीरथगढ़ की महिलाओं ने आज अपनी कड़ी मेहनत और लगन से बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है। पपीता के बाद इनका समूह अब कद्दू, ककड़ी और लौकी की फसल उगा रहा है। वर्तमान में ये महिलाएं करीब 25 टन सब्जी का उत्पादन कर रहीं हैं।
रंग लाई महिलाओं की कड़ी मेहनत
तीरथगढ़ के कोटवार पारा, पेरमा पारा और करकाक पारा की महिला समूह की किस्मत आज बदल चुकी है। उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई जमीन में पपीता उत्पादन कर 45 लाख रुपये की कमाई की है। सारी महिलाएं खुश होकर लगन के साथ खेती के काम में जुटी हुई है। अपनी मेहनत के दम पर इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।
6 माह में हुआ 35 टन पपीता का उत्पादन
तीरथगढ़ के 43 महिलाओं की समूह जिला प्रशासन व बस्तर किसान कल्याण संघ की मार्गदर्शन में अथक परिश्रम कर बंजर भूमि में 35 टन से अधिक पपीता उत्पादन कर अच्छी खासी कमाई की है। अपने दम पर महिलाओं ने साल भर में लगभग 45 लाख रुपये की आमदनी हासिल की है। इस आमदनी से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। अब यह सभी महिलाएं आत्मनिर्भर होकर काम कर रहीं है।
जिला प्रशासन व बस्तर किसान कल्याण समिति का मिला सहयोग
महिला समूह से बात करने पर समूह के दिलमनी बघेल हस्तिना कश्यप और सुमती ने बताया कि पपीते की खेती के लिए जिला प्रशासन व बस्तर किसान कल्याण समिति का पूरा पूरा सहयोग मिला। अब समूह अपनी परिश्रम से लाखों रुपये की आमदनी से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है।
गाँव में ही मिला रोजगार
समूह की सचिव हेमवती कश्यप ने बताया कि मां दंतेश्वरी पपैया उत्पादन समिति के माध्यम से गाँव की तैंतालीस(43) महिलाओं को रोजगार मिला है। पहले गांव में काम नहीं होने से यहां की महिलाएं रोजी रोटी के लिए बाहर काम करने जाती थी। घर बैठे रोजगार मिलने से आज इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है और साथ ही साथ वे घर की जिम्मेदारी भी संभाल पा रही है। आर्थिक तंगी दूर होने से महिलाओं की जीवन शैली में भी बदलाव आया है।

पपीता बदल रहा किस्मत, बस्तर की आदिवासी महिलाएं कमा रही लाखों
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