रात में राउंड पर नहीं आते डॉक्टर
पूरे अस्पताल में 79 असिस्टेंट प्रोफेसरों को निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिन्हें कि रात 10-12 बजे तक राउंड कर गंभीर मरीज को लाइनअप करने की जिम्मेदारी दो वर्षों पूर्व ही सौंपी गई थी। फिर भी 1100 बिस्तरों का पूरा अस्पताल जूडॉ के भरोसे ही रहता है और वे 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी करते हैं। ताजा मामले में भी कुछ इसी तरह के हालात देखने को मिले। ऐसे में मृतका की हालत बिगडऩे के 2 घंटे तक किसी सीनियर डॉक्टर का नहीं पहुंचना प्रबंधन की लापरवाही की ओर इशारा करता है।
एनाफालाइटिक इंफेक्शन का अंदेशा
आइसीयू में मौजूद जूनियर डॉक्टर के मुताबिक दूषित रक्त शरीर में जाने से एनाफालाइटिक संक्रमण होने का खतरा होता है। जिससे महज 5-10 मिनट में ही इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल जाता है और फेफड़ों में पानी भरने लगता है, साथ ही कभी-कभी हार्ट भी काम करना बंद कर देता है। वहीं, मृतका के साथ भी कुछ इसी से मिलता जुलता प्रकरण देखने को मिला। इसे देखते हुए जानकार इसी वजह से मौत होने का अंदेशा लगा रहे हैं।
अधीक्षक का गैर-जिम्मेदाराना जवाब
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि मामले की जानकारी नहीं है, आप खबर छापिए फिर देखते हैं। जिसने भी लापरवाही बरती होगी, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रेशे के रूप में आ रहा था ब्लड
‘पत्रिका’ टीम ने मेडिकल वार्ड नं 10 के बेड नं 28 (जहां महिला भर्ती थी) वहां जाकर अन्य मरीजों से स्थिति जानने का प्रयास किया। जहां उन्होंने बताया कि महिला की हालत ठीक थी, वो अच्छे तरीके से खा-पी, हंस-बोल रही थी। जबकि ब्लड चढ़ाने के दौरान नर्स ने भी कहा था कि यह सही नहीं है, इसमें ड्रिप के बजाए रेशे के रूप में ब्लड प्रवाहित हो रहा है। जिस पर मृतका के पति विनय कुमार शील ने ब्ल्ॉड बैंक में ब्लड को बदलने का आग्रह किया, फिर भी वहां से दूसरा ब्लड नहीं दिया गया।