scriptइन महिलाओं ने गोबर को बनाया कमाई का जरिया, अब हो रही इतनी कमाई | Women start business from cow dung and get double income in CG State | Patrika News

इन महिलाओं ने गोबर को बनाया कमाई का जरिया, अब हो रही इतनी कमाई

locationरायपुरPublished: Jul 03, 2020 10:10:00 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

जय महामाया महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर (Cow Dung) से गमले का निर्माण कर बनायी है। अभी तक गोबर का उपयोग खाद के रूप में होता था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की दूरदर्शिता से अब गोबर का उपयोग व्यवसायिक रूप में होने जा रहा है।

cow_dung_news.jpg
रायपुर. इंसान की काबिलियत उसकी मेहनत पर निर्भर करती है और यदि कम मेहनत और कम संसाधन में ज्यादा फायदा मिले तो उसे एक अलग ही पहचान मिलती है। ऐसी ही पहचान टिपनी की जय महामाया महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से गमले का निर्माण कर बनायी है। अभी तक गोबर का उपयोग खाद के रूप में होता था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की दूरदर्शिता से अब गोबर का उपयोग व्यवसायिक रूप में होने जा रहा है। अब गोबर से कंडे ही नही बल्कि दीये, गमले एवं अन्य वस्तुएं भी बनने लगे हैं। राज्य सरकार द्वारा गांव की समृद्धि और किसानों की खुशहाली के लिए गोबर खरीदने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।
cow_dung_business_news.jpg
गोबर के गमले से बेमेतरा जिले के ग्राम पंचायत टिपनी की जय महामाया महिला स्व सहायता समूह ने कमाई शुरू भी कर दिया है। महिलाओं ने अभी तक 1200 गमले बेचकर 18 हजार रूपए की कमाई कर चुकी हैं। एक गमला बनाने में 7 रूपए की लागत आती है और वह बिकता 15 रूपए में है। इस तरह से 9600 रूपए की शुद्ध कमाई। महिलाओं ने अभी तक 1500 गमलों का निर्माण कर चुकी हैं।
गोबर गमला निर्माण में कच्चा माल के रूप में गोबर, पीली मिट्टी, चूना, भूसा इत्यादि का उपयोग किया जाता है। जिला प्रशासन द्वारा जिले में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविकास मिशन (बिहान) के तहत प्रेरित किया जा रहा है। गोबर से गमला बनाने का मुख्य लाभ यह है कि यह टिकाऊ होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल है तथा प्लास्टिक-पॉलीथिन के गमले के स्थान पर इनका उपयोग किया जाता है।
cow_dung_news.jpg
अगर गमला क्षतिग्रस्त हो गया तो इसका खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गोबर के गमले का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वृक्षारोपण या पौधे की नर्सरी तैयार करने में हैं जिसमें गोबर के गमले में लगें पौधे को सीधा भूमि पर रोपित कर सकते है। गोबर खाद के रूप में अधिकांश खनिजों के कारण मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
पौधें की मुख्य आवश्यकता नाईट्रोजन, फॉसफोरस तथा पोटेशियम की होती है। ये खनिज गोबर में क्रमशः 0.3-0.4, 0.1-0.15 तथा 0.15-0.2 प्रतिशत तक विद्यमान रहते है। मिट्टी के सम्पर्क में आने से गोबर के विभिन्न तत्व मिट्टी के कणों को आपस में बांधते है। यह पौधों की जड़ो को मिट्टी में अत्यधिक फैलाता हैं एवं मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाती है। इस तरह समूह की महिलाओं ने गोबर से गमला बनाकर आजीविका के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो