scriptWorld Day Against Child Labour 2021: इन नियमों और शर्तों की वजह से बाल श्रमिक शासन की मदद से वंचित, जानें हकीकत | World Day Against Child Labour Must know these rule about child labour | Patrika News
रायपुर

World Day Against Child Labour 2021: इन नियमों और शर्तों की वजह से बाल श्रमिक शासन की मदद से वंचित, जानें हकीकत

World Day Against Child Labour 2021: राजधानी की 30 फीसदी से ज्यादा दुकानों, होटलों और गैरेजों में बच्चे काम करते रोज दिखाई देते हैं। लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों को माने तो रायपुर में सिर्फ 11 ही बाल श्रमिक हैं। जानें हकीकत

रायपुरJun 12, 2021 / 08:19 am

Ashish Gupta

World Day Against Child Labour 2021

World Day Against Child Labour 2021: इन नियमों और शर्तों की वजह से बाल श्रमिक शासन की मदद से वंचित, जानें हकीकत

रायपुर. 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour 2021) मनाया जाता है। यह दिन ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है जो बच्चों से जोखिम भरा काम कराते हैं। वहीं सरकार का भी दायित्व है कि ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए योजनाओं का लाभ दिलाए, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। हजारों बच्चों को शासन से किसी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है।

दरअसल, राजधानी की 30 फीसदी से ज्यादा दुकानों, होटलों और गैरेजों में बच्चे काम करते रोज दिखाई देते हैं। लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों को माने तो रायपुर में सिर्फ 11 ही बाल श्रमिक हैं। हालांकि सर्वे के अलग-अलग कटेगरी में 189 बच्चे मिले हैं। जिसमें कचरा बिनने वाले 102, बाल श्रमिक 11 मिले हैं। भिक्षावृत्ति बालकों की संख्या 76 रही है।

यह भी पढ़ें: कोरोनाकाल में अवसाद और नींद नहीं आने की बढ़ी समस्या, अच्छी नींद के लिए अपनाएं ये उपाय

सर्वे में कानूनी दांव-पेंच आड़े आ गए हैं। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार ही दर्जनों ऐसी शर्तें रख दी गई हैं, जिससे हजारों बच्चे इस दायरे से बाहर हो गए हैं। इसलिए उनको शासन से किसी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है। इसी वर्ष जनवरी माह में कराए गए सर्वे में यह आंकड़े सामने आए हैं। बार-बार लॉकडाउन लगने के कारण इनके पुनर्वास का काम भी पूरा नहीं हो पाया है। बाल श्रमिक, अवशिष्ट संग्राहक एवं भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों के सर्वेक्षण एवं बचाव के लिए अभियान हाल ही में चलाया गया था।

कुल 36 अधिकारियों ने किया सर्वे
सर्वेक्षण के लिए रायपुर निगम के सभी 10 जोन के 10 कमिश्नर, नगर पालिक निगम बीरगांव के 3 जोन के जोन कमिश्नर 3 एवं 1 परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास, 416 ग्राम पंचायत के सर्वेक्षण के लिए 4 जनपद पंचायत सीईओ तथा 4 सहायक परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास को लगाया गया था। इसी तरह तीन नगर पालिका गोबरा नवापारा, तिल्दा-नेवरा एवं आरंग तथा चार नगर पंचायत खरोरा, माना कैम्प, अभनपुर, कुर्रा के 7 सीएमओ, महिला एवं बाल विकास के 7 सहायक नोडल अधिकारी कुल 36 अधिकारी को तैनात किया गया था। इस तरह 36 अधिकारी सिर्फ 11 बच्चों को ही ढ़ूंढ पाए।

यह भी पढ़ें: शरीर में आयरन की कमी पूरी करेंगे ये 5 प्राकृतिक घरेलू उपाय, चंद दिनों में दिखेगा फर्क

बाल श्रमिक स्कूल बंद
आईटीई आने के बाद से प्रदेश के सभी बाल श्रमिक स्कूलों को बंद कर दिया गया। पिछले साल तक जिले के करीब सौ बाल श्रमिक स्कूलों में पांच हजार से अधिक बच्चे पढ़ते थे। आईटीई के तहत उनका स्कूलों में दाखिला तो करा दिया गया, लेकिन उनमें से कितने स्कूल पहुंच रहे हैं इसका सर्वे बाद में नहीं हुआ है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय ने कहा, जो बच्चे मिले हैं उनकी होम स्टडी की गई। बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया गया था। अब शासन की विभिन्न योजना के माध्यम से पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है।

फैक्ट फाइल
– भिक्षावृत्ति वाले बालकों की संख्या- 76
– कचरा बिनने वाले- 102
– बाल श्रमिक- 11
कुल – 189

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो