रुद्र वीणा
ये वाद्ययंत्र सारे यंत्रों की जननी मानी जाती है। यह अपने वंश को पौराणिक कला में वापिस खोजती है और भगवान शिव से जुड़ी हुई है। मिथ्य के अनुसार भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती से प्रेरित हो कर इस यंत्र की रचना की थी। इस यंत्र को सिर्फ संग्रहालय में ही देखा जा सकता है। इस यंत्र के वादक कुछ गिने चुने ही जिंदा है और ये विलुप्त होने के कगार पर है।
मयूरी
मोर की तरह आकार और मोर बिल और पंखों के साथ ये यंत्र देखने में बड़ा खूबसूरत लगता है। इस यंत्र का सिख और पंजाब से एक गहरा रिश्ता है। कहा जाता है की सिखों के गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने इस यंत्र का अविष्कार किया था। इस यंत्र को मां सरस्वती से भी जोड़ा जाता है। यह यंत्र भी विलुप्त होने के कगार पर है।
मोर्चांग
ये यंत्र राजस्थान में बहुत मशहूर है और राजस्थान के लोक संगीत में इसका हमेशा इस्तेमाल होता है आया है, लेकिन कुछ सालों से ये यंत्र भी विलुप्त होने के कगार पर पूछ चुका है।
नागफणी
ये यंत्र सर्प शैली के सिर वाली पीतल की नली वाली यंत्र को अकसर साधुओं और संतो के साथ जोड़ा जाता है। नागफणी का सही मायने में मतलब सांप जैसे सर वाला यंत्र है। ये यंत्र कभी गुजरात और राजस्थान में लोकप्रिय था लेकिन अब विलुप्त होने के कगार पर है।