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रेबीज से बचाव, इसके प्रबंधन और टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पूरी दुनिया में 28 सितम्बर को हर वर्ष विश्व रैबीज दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के पशु चिकित्सा कंसल्टेंट डॉ. इंद्रकुमार पटेल ने बताया कि एक बार रेबीज होने के बाद इससे बचा नहीं जा सकता।
डॉक्टर के परामर्श के अनुसार समय पर पूर्ण टीकाकरण कराएं। जानवरों के द्वारा चाटने, नाखून मारने या काटने के घाव को अनदेखा न करें। कटे हुए घाव पर मिर्ची पाउडर, सरसों का तेल, तेजाब या जलन करने वाले केमिकल न लगाएं। झाड़-फूंक, टोने-टोटके एवं अंधविश्वास से दूर रहें। घाव पर पट्टी बांधे।
बच्चों को आवारा जानवरों से दूर रखें। ज्यादातर जानवर सताए जाने पर या आत्मरक्षा के लिए काटते हैं। रैबीज नियंत्रण के छत्तीसगढ़ राज्य नोडल अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र गहवई ने बताया किरकारी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में एंटी-रेबीज टीके उपलब्ध कराए हैं।
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