झूठ के सहारे बाघ
अविभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग 20 साल तक वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य रहे प्राण चड्डा ने एक बड़ा खुलासा किया है कि वर्ष 1995 में वन महकमे के अभ्यारण्य प्रभारी एम.आर. ठाकरे ने अचानकमार को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए 27 बाघ की मौजूदगी का काल्पनिक आंकड़ा देते हुए रिपोर्ट तैयार की थी। यह रिपोर्ट प्राण चड्डा ने मध्यप्रदेश वाइल्ड लाइफ बोर्ड के समक्ष पेश की थी। चड्डा का कहना है कि बाघों की गिनती के मामले में छत्तीसगढ़ का वन महकमा तब के झूठ का सहारा लेकर अपनी नाक बचाता रहा है। अब भी यह आंकड़ा जस का तस है।
कोर्ट ने कहा, होते तो दिखते
सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने प्रदेश के राजनांदगांव के छुरिया, पंडरिया और भोरमदेव के जमुनापाली में बाघों के अवैध शिकार को लेकर एक याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में काफी बड़ी संख्या में बाघ होने का दावा व्यावहारिक नहीं लगता, अगर वहां बाघ होते, तो कभी न कभी दिखते।
बाघों की संख्या को लेकर विवाद
छत्तीसगढ़ में बाघों की मौजूदगी को लेकर हमेशा विवाद की स्थिति कायम रही है। वर्ष 2006 में वन विभाग ने प्रदेश में कुल 23 से 27 बाघ की मौजूदगी का दावा किया था। चार साल बाद वर्ष 2010 में 24 से 27 बाघ। वर्ष 2014 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के बाद हंगामा ही मच गया, जब यह पता चला कि प्रदेश में बाघों की संख्या 46 हो गई है। वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर कार्यरत नितिन सिंघवी का कहना है कि प्रदेश में बाघों की मौजूदगी के समाचार मिलते तो हैं, लेकिन बाघ उतने नहीं हैं, जितने बताए जाते हैं। सिंघवी का कहना है कि बैकुंठपुर कोरिया के सोनहत मार्ग से पांच किलोमीटर की दूरी पर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान मौजूद हैं। यह क्षेत्र कभी मध्य प्रदेश के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा था, सो संजय गांधी उद्यान के बाघ कभी-कभार भटकते हुए छत्तीसगढ़ आ जाते हैं। नितिन संघवी की बातों में दम इसलिए भी लगता है, क्योंकि कुछ समय पहले ही मध्यप्रदेश के सीधी क्षेत्र की एक बाघिन भटकते हुए मनेंद्रगढ़ वन मंडल आ धमकी थी।
नहीं होती है वैज्ञानिक ढंग से गणना
वन और वन्यजीवों को लेकर काम करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों की गणना अब भी वैज्ञानिक ढंग से नहीं होती है। कुछ साल पहले तक पैरों के निशान और उनके मलमूत्र आदि को देखकर गिनती की जाती थी, लेकिन अब जंगलों में कैमरे लगाकर गणना की जा रही है। विशेषज्ञ इसे भी पर्याप्त नहीं मानते। उदंती-सीतानदी अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व १८४२.५४० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, लेकिन यहां जनवरी २०१८ में प्रारंभ की गई गणना के लिए पांच-पांच सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही चंद कैमरे ही लगाए गए। इसी तरह अचानकमार अभ्यारण्य में भी कुछ कैमरों का ही इस्तेमाल किया गया, जबकि इंद्रावती अभ्यारण्य में गणना के लिए कैमरों का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया, क्योंकि वहां बाघ से ज्यादा माओवादी मौजूद हैं।