यूएसजीएस से इमेज
प्रसून ने बताया कि हमें दो वेबसाइट से इमेज मिलती है। जो सेटेलाइट द्वारा खीची गई होती है। इमें इंडियन वेबसाइट भुवन और अमरीकन वेबसाइट यूएसजीएस इमेज भेजते हैं। हर 16 दिन में एक फोटो हमें मिलती है। इसके जरिए अध्ययन कर सफाई में मदद मिलती है। पीएचडी कर चुके प्रसून कहते हैं कि इस टेक्नोलॉजी का यूज पूरे राज्य और उसके बाद देश की नदियों के लिए किया जा सकता है। अरपा नदी पेंड्रा के खोंडरीखोंगसारा से निकलती है और शिवनाथ में मिल जाती है।
पब्लिक सपोर्ट मिलता है
प्रसून कहते हैं कि इस काम में पब्लिक सपोर्ट मिलता है। अब तक १२ हजार स्क्वेयर मीटर की सफाई कर चुके हैं। गुरु घासीदास विवि के सॉफ्टवेयर का सहारा ले रहे हैं। दोनों वेबसाइट से इमेज फ्री मिलती है। हमारे पास खुद की जेसीबी भी है। प्रसून पहले गुरु घासीदास विवि में संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर थे। अब उन्होंने अपना स्कूल खोल लिया है जो केजी-टू तक है। सफाई अभियान में लोग डोनेशन देते हैं, सरकारी सहायता फिलहाल नहीं मिल रही। अपने २० मिनट के प्रजेंटेशन में प्रसून ने ३६ पेज पढ़कर पूरी बातें सामने रखीं।
सवाल पूछना न छोड़ें युवा
उद्घाटन समारोह के चीफ गेस्ट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे। उन्होंने कहा कि युवा इन दिनों सवाल पूछने में पीछे होते जा रहे हैं। कारण यह है कि टीचर से पूछो तो वे नाराज, घर में पूछो तो घरवाले नाराज और नेता से पूछो तो वे भी नाराज। इस वजह से शोध में कमी आई है। युवाओं को चाहिए कि वे सवाल जरूर पूछें लेकिन जवाब सुनने का धैर्य भी रखें। कार्यक्रम को मंत्री उमेश पटेल, कुलपति केशरीलाल वर्मा, केके घोष और के.सुब्रह्मण्यम ने भी संबोधित किया। शुक्रवार को भी शोध पत्र पढ़े जाएंगे।
पौधे से बनी मेडिसीन से दूर होगा वायरल हेपेटाइटिस
हर्बल प्रोडक्ट को लेकर दावा किया जाता है कि इसका साइड इफेक्ट नहीें होता। गुरु घासीदास विवि बिलासपुर के छात्र सम्राट रक्षित ने अपने शोध में बताया कि वायरल हेपेटाइटिस का इलाज पौधे से किया जा सकता है। सरपुल्खा नाम का पौधा छत्तीसगढ़ में बहुतायात में पाया जाता है। सम्राट ने कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट में इस पौधे को देखा और शोध किया। वे चूहे पर एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं। इसका उपयोग ट्राइबल क्षेत्र में किया जाता। हल्की-फुल्की चोट या घाव इसके पेस्ट से ठीक हो जाते हैं। सम्राट की मानें तो अभी इसमें और भी काम करना है, भविष्य में इसके फार्मूले से कोई भी दवा कंपनी मेडिसीन बना सकती है।