निशुल्क है प्रशिक्षणधर्म की रक्षा के लिए शुरू की गई इस मुहिम से कोई भी ङ्क्षहदू जुड़ सकता है। इच्छुक युवा रावांभाठा स्थित सुदर्शन संस्थानम् में सुबह 10 से शाम 5 बजे के बीच संपर्क कर सकते हैं। प्रशिक्षण के लिए हथियार संस्थानमु की ओर से उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रशिक्षण का वक्त फिलहाल तय नहीं हो सका है। संभवत: शंकराचार्य रायपुर से जाने से पहले इस संबंध में कोई घोषणा कर सकते हैं। इन मुद्दों पर भी शंकराचार्य ने रखी राय… हिंदू राष्ट्रदुनिया में 240 देश हैं। इनमें 15 ऐसे देश हैं जो हिंदू राष्ट्र बनना चाहते हैं क्योंकि वहां ङ्क्षहदू बहुतायत में हैं। उन सभी की नजरें भारत की ओर टिकी हैं। जिस दिन भारत हिंदू राष्ट्र बन जाएगा, उस दिन 15 अन्य देश भी इसी राह पर चल पड़ेंगे। मुझे उम्मीद नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि भारत 3 सालों के भीतर हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। राजनीतिआज के नेता राजधर्म नहीं जानते तो राजनीति कैसे करेंगे? झूठ और छलकपट की राजनीति देश को गलत दिशा में ले जा रही है। नेताओं को चाहिए कि राज करने से पहले धर्म का मर्म समझें। जिस दिन नेता राजधर्म को समझ गए और उसका पालन करने लगे तो भारत समृद्ध भी होगा और एक बार फिर विश्वगुरु भी बनेगा। [typography_font:12pt;” >रायपुर. भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के तहत पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती पूरे देश का भ्रमण कर रहे हैं। अभी वे राजधानी रायपुर के रावांभाठा स्थित सुदर्शन संस्थानम् में ठहरे हैं। यहां वे हिंदुओं को जागृत करने के लिए प्रतिदिन शास्त्र का ज्ञान तो दे ही रहे हैं। धर्म की रक्षा के लिए अब युवाओं को शस्त्र का प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया है। युवाओं को यहां गदा, तलवार, भाला आदि पारंपारिक हथियारों में दक्ष बनाया जा रहा है। शंकराचार्य की देखरेख में युवा प्रतिदिन कुशल से शस्त्र विद्या ले रहे हैं। सुबह-शाम होने वाली हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी में इसका प्रदर्शन भी किया जा रहा है। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि अन्य युवा भी इससे प्रेरणा लेते हुए धर्म की रक्षा के लिए आगे आएं। शंकराचार्य अभी 24 जून तक राजधानी में ही रहेंगे। तय हुआ है कि उनके जाने के बाद भी यह प्रशिक्षण जारी रहेगा। अधिक से अधिक युवाओं को इससे जोडऩे के लिए आदित्य वाहिनी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। समाज का भविष्ययह बच्चों-युवाओं और उनके माता-पिता पर निर्भर है। आज के अभिभावक खुद धर्म नहीं जानते तो बच्चे दिशाहीन कैसे न हों? वाणी-व्यवहार में संयम बरतें। युवाओं को दिशाहीन होने से बचाना है तो उन्हें अच्छे संस्कार दें। युवाओं को भी चाहिए कि वे मर्यादित जीवन जीएं तभी एक बेहतर समाज की स्थापना हो सकती है।