अब आलम ये रहा कि राजधानी भोपाल के आसपास रिहायशी इलाकों तक में टाइगर का लगातार मूवमेंट देखने को मिलता है। यहां तक की कई बार भोपाल को ‘एक शहर जिसके चारों ओर घूमते हैं बाघ’ तक की बात कही जाने लगी।
लोगों बाघों को बेहतर संरक्षण देने और भरपूर संख्या के कारण केंद्र सरकार ने मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा दे दिया है। प्रदेश में अन्य प्रदेशों की तुलना में सबसे अधिक टाइगर पाए जाने पर यह दर्जा दिया है।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार रातापानी अभयारण्य में 35 से 40 टाइगर हैं। इनमें कई मादा टाइगर भी शामिल हैं, जिससे इनकी संख्या और बढऩे की संभावनाएं बनी रहती हैं। वहीं टाइगर रिजर्व बनाने के लिए इतनी संख्या पर्याप्त बताई जाती है।
रातापानी अभयारण्य दो जिलों में फैला है। अभ्यारण्य की सीमाएं रायसेन और सीहोर जिले में हैं। अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 907 वर्ग किमी है। अभयारण्य से होकर रेलवे लाइन गुजरी है। दो नेशनल हाईवे 12 और 69 अभयारण्य से गुजरे हैं, तीन स्टेट हाईवे भी अभयारण्य से होकर गुजरे हैं।
रातापानी अधीक्षक आरके सिंह ने बताया कि अभ्यारण्य में विभिन्न स्थानों पर 18 पेट्रोलिंग केंप बनाए जा रहे हैं, ताकि जानवरों की लगातार मॉनीटरिंग की जा सके। अभयारण्य के जिस क्षेत्र में जानवरों की संख्या अधिक है, वहां दिन और रात मॉनीटरिंग के लिए अमला तैनात किया जाएगा।
रातापानी अभयारण्य को टाइगर प्रोजेक्ट का दर्जा दिलाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर उस पर पहले से ही अमल करना शुरू कर दिया गया है। टाइगर प्रोजेक्ट के प्रावधानों के तहत सुरक्षा, मॉनीटरिंग सहित अन्य प्रबंध किए जा रहे हैं। इस योजना को लेकर नौ मई को पीसीसीएफ जेके मोहंती ने अभयारण्य का दौरा किया था। इसके बाद दिल्ली से भी वन विभाग के कुछ अधिकारी रातापानी अभयारण्य पहुंचे थे।
रातापानी अभयारण्य में लगभग 15 गांव बसे हुए हैं। इन गांवों के लोगों का अभयारण्य में आवागमन बना रहता है, जिससे जानवरों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है। अभयारण्य के टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया में अंदर बसे गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई है, अब तक एक गांव दांतखोह का विस्थापन हो चुका है। जबकि कैरी चौका, जैतपुर, साजोली का विस्थापन बारिश बाद किया जाएगा।
रायसेन और सीहोर जिले में फैले रातापनी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का लाभ दोनों ही जिलों को मिलेगा। यहां पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा, जिससे बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। अभयारण्य क्षेत्र में पर्यटन के लिए विशेष जिप्सी शुरू की जाएंगी। पर्यटकों के लिए रेस्टोरेंट खोले जाएंगे। साथ ही गाइड नियुक्त किए जाएंगे, जिसमें स्थानीय युवाओं को अवसर मिलेंगे।
– आरके सिंह, एसडीओ रातापानी अभयारण्य