scriptMP के इस इलाके पर चलता है 35 बाघों का राज, जल्द मिल सकता है टाइगर रिजर्व का दर्जा | 35 tigers and tigress are king and queen of this district | Patrika News

MP के इस इलाके पर चलता है 35 बाघों का राज, जल्द मिल सकता है टाइगर रिजर्व का दर्जा

locationरायसेनPublished: Jul 30, 2019 05:48:49 pm

: टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर.
: बाघों की संख्या में लगातार हुआ इजाफा.

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रायसेन। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा पुन: मिल गया है। जिसका कारण मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में इजाफे को जाता है। वहीं पूर्व में देश में तेजी से घटती बाघों की संख्या के कारण ‘सेव द टाइगर’ स्लोगन की जरूरत महसूस की गई। जिसे मध्यप्रदेश ने सर्वाेपरि रखते हुए टाइगर को भरपूर संरक्षण इस तरह दिया कि प्रदेश में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा होता गया।

अब आलम ये रहा कि राजधानी भोपाल के आसपास रिहायशी इलाकों तक में टाइगर का लगातार मूवमेंट देखने को मिलता है। यहां तक की कई बार भोपाल को ‘एक शहर जिसके चारों ओर घूमते हैं बाघ’ तक की बात कही जाने लगी।

लोगों बाघों को बेहतर संरक्षण देने और भरपूर संख्या के कारण केंद्र सरकार ने मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा दे दिया है। प्रदेश में अन्य प्रदेशों की तुलना में सबसे अधिक टाइगर पाए जाने पर यह दर्जा दिया है।

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अब जबकि मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है, ऐसे में राजधानी भोपाल के पास स्थित रायसेन जिले के रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा देने की प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है। हालांकि विभाग के अधिकारी इसे एक अलग प्रक्रिया मान रहे हैं, लेकिन रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है, जिसके अब जल्द सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
जानकारों के अनुसार ऐसा हुआ तो रायसेन जिले के लिए यह एक बड़ी सौगात होगी। ऐसे में पहले से ही पर्यटन स्थलों के लिए देशभर में प्रसिद्ध यह जिला वन्य पर्यटन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ेगा। जिले के बेरोजगारों को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, साथ ही जिले के बाघों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी होंगे।
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रातापानी अभयारण्य में हैं 35 से 40 टाइगर…
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार रातापानी अभयारण्य में 35 से 40 टाइगर हैं। इनमें कई मादा टाइगर भी शामिल हैं, जिससे इनकी संख्या और बढऩे की संभावनाएं बनी रहती हैं। वहीं टाइगर रिजर्व बनाने के लिए इतनी संख्या पर्याप्त बताई जाती है।
दो जिलों में फैला है अभयारण्य…
रातापानी अभयारण्य दो जिलों में फैला है। अभ्यारण्य की सीमाएं रायसेन और सीहोर जिले में हैं। अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 907 वर्ग किमी है। अभयारण्य से होकर रेलवे लाइन गुजरी है। दो नेशनल हाईवे 12 और 69 अभयारण्य से गुजरे हैं, तीन स्टेट हाईवे भी अभयारण्य से होकर गुजरे हैं।
ये हो रहे हैं इंतजाम…
रातापानी अधीक्षक आरके सिंह ने बताया कि अभ्यारण्य में विभिन्न स्थानों पर 18 पेट्रोलिंग केंप बनाए जा रहे हैं, ताकि जानवरों की लगातार मॉनीटरिंग की जा सके। अभयारण्य के जिस क्षेत्र में जानवरों की संख्या अधिक है, वहां दिन और रात मॉनीटरिंग के लिए अमला तैनात किया जाएगा।
इसके अलावा अभयारण्य के सभी प्रवेश मार्गों पर मजबूत गेट बनाकर कड़ा पहरा लगाया जाएगा। साथ ही जानवरों की सुरक्षा को लेकर जरूरी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। बाघों को उनके विचरण क्षेत्र में अभयारण्य के भीतर ही पानी के लिए बॉडी बनाकर इंतजाम किए जा रहे हैं। उनके शिकार के लिए बाहर से चीतल और सांभर लाकर छोड़े जाएंगे।
पहले से जारी हैं तैयारियां…
रातापानी अभयारण्य को टाइगर प्रोजेक्ट का दर्जा दिलाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर उस पर पहले से ही अमल करना शुरू कर दिया गया है। टाइगर प्रोजेक्ट के प्रावधानों के तहत सुरक्षा, मॉनीटरिंग सहित अन्य प्रबंध किए जा रहे हैं। इस योजना को लेकर नौ मई को पीसीसीएफ जेके मोहंती ने अभयारण्य का दौरा किया था। इसके बाद दिल्ली से भी वन विभाग के कुछ अधिकारी रातापानी अभयारण्य पहुंचे थे।
गांवों का विस्थापन…
रातापानी अभयारण्य में लगभग 15 गांव बसे हुए हैं। इन गांवों के लोगों का अभयारण्य में आवागमन बना रहता है, जिससे जानवरों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है। अभयारण्य के टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया में अंदर बसे गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई है, अब तक एक गांव दांतखोह का विस्थापन हो चुका है। जबकि कैरी चौका, जैतपुर, साजोली का विस्थापन बारिश बाद किया जाएगा।
ये होगा जिले को लाभ…
रायसेन और सीहोर जिले में फैले रातापनी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का लाभ दोनों ही जिलों को मिलेगा। यहां पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा, जिससे बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। अभयारण्य क्षेत्र में पर्यटन के लिए विशेष जिप्सी शुरू की जाएंगी। पर्यटकों के लिए रेस्टोरेंट खोले जाएंगे। साथ ही गाइड नियुक्त किए जाएंगे, जिसमें स्थानीय युवाओं को अवसर मिलेंगे।
प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है, लेकिन इसका रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन इसका लाभ जरूर मिलेगा। यह प्रक्रिया जारी है। जल्द ही अच्छे परिणाम मिलेंगे। ऐसा हुआ तो जिले के युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
– आरके सिंह, एसडीओ रातापानी अभयारण्य
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